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लश्कर के आतंकियों की बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश

इंद्र वशिष्ठ 
पाकिस्तान के पाले हुए लश्कर ए तैयबा के आतंकियों का इरादा रेल में आग लगाने वाला बम धमाका करने का था। चलती रेल को बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश रचने वाले दो भाइयों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया है।
एनआईए की प्रवक्ता  एसपी जया रॉय ने बताया कि दरभंगा रेलवे स्टेशन पर 17 जून 2021 को हुए पार्सल बम धमाके के मामले में मोहम्मद नासिर खान और उसके भाई इमरान मलिक को हैदराबाद में तीस जून को गिरफ्तार किया गया।
मूलतः उत्तर प्रदेश में शामली के निवासी ये दोनों भाई अब हैदराबाद के नामपल्ली में रह रहे थे।
अंतरराष्ट्रीय साजिश।-
आरोपियों से पूछताछ और  प्रारंभिक जांच में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों  द्वारा भारत भर में आतंकी कृत्यों को अंजाम देने और जान-माल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के लिए रची गई एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का खुलासा हुआ है।
आग वाला केमिकल बम –
लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित आकाओं के निर्देशों के तहत कार्रवाई करते हुए
इन दोनों भाइयों ने रसायन से आग लगाने वाला बम बनाया और उसे कपड़ों के पार्सल में रखा। पार्सल को सिकंदराबाद से लंबी दूरी की रेल सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस में बुक कर दिया। इन्होंने बम इस तरीके से बनाया, जिसमें विस्फोट होते ही आग लग फैले। इनका इरादा चलती रेल मेंं बम धमाका कर आग लगाने का था जिससे कि ज्यादा से ज्यादा ल़ोगों की जान माल का नुकसान हो। लेकिन किसी वजह से बम रेल में फटा नहीं। कपड़ों के पार्सल में रखा यह बम दरभंगा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर जाकर फट गया।
इस मामले की जांच 24 जून को एनआईए को सौंपी गई।
लश्कर ए तैयबा- 
एनआईए के अनुसार मोहम्मद नासिर खान साल 2012 में पाकिस्तान गया था वहां उसे लश्कर ए तैयबा के आतंकियों ने बाजार में आसानी से उपलब्ध रसायन से बम (आईईडी) बनाना सिखाया था। मोहम्मद नासिर और उसका भाई इमरान सुरक्षित संचार माध्यमों से लश्कर ए तैयबा के अपने आकाओं से संपर्क में रहते थे।
बर्निंग ट्रेन- 
आतंकियों ने ट्रेन उड़ाने की साजिश के लिए ऐसे कपड़ों और केमिकल का उपयोग किया था, जो जल्दी आग पकड़ने वाले होते हैंं। आतंकी पूरी ट्रेन को बर्निंग ट्रेन बनाना चाहते थे। इसके लिए बोतल के ऊपर सेंसर लगाकर ट्रेन की तेज रफ्तार होने के बाद ब्लास्ट कराकर आग लगाने की मंशा थी लेकिन कुछ गड़बड़ी की वजह से चलती ट्रेन में धमाका नहीं हो पाया।
इस बम में सिंथेटिक कपड़े का इस्तेमाल हुआ। क्योकि सिंथेटिक कपड़ा जल्दी आग पकड़ता है और यह कपड़ा देर तक जलता है, इसलिए आतंकियों ने ज्यादा से ज्यादा जान माल को क्षति पहुंचाने के लिये सिंथेटिक कपड़ों का इस्तेमाल किया। दरभंगा बम विस्फोट के बाद जब पुलिस ने उस पार्सल को खंगाला था जिसके अंदर धमाका हुआ था तो उसमेंं महिलाओं के सिंथेटिक कपड़ों के सूट रखे हुए थे।

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