नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का 98वां दीक्षांत समारोह शनिवार, 26 फरवरी को डीयू खेल परिसर के बहुद्देशीय हाल में विधिवत्त आयोजित किया गया। इस समारोह में मुख्यातिथि के तौर पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपस्थित रहे जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर पहली बार डिजिटल डिग्री प्रदान की गई। केंद्रीय रक्षा मंत्री ने अपने हाथों से टैब पर टच कर के 1 लाख 73 हजार 443 विद्यार्थियों को डिजिटल डिग्रियां प्रदान की। इस अवसर पर मुख्यातिथि ने अपने दीक्षांत भाषण में कहा कि ज़िंदगी में ज्ञान से ज्यादा संस्कारों की अहमियत है। उनसे पूर्व डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने स्वागत भाषण में मुख्यातिथि सहित सभी आगंतुकों का आभार जताया व डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी।
मुख्यातिथि राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में संस्कारों का महत्व समझाते हुए कहा कि रावण श्री राम से ज्यादा ज्ञानी, धनवान और बलवान था, लेकिन पूजा रावण की नहीं अपितु मर्यादा पुरषोतम राम की होती है, उनके संस्कारों की होती है। उन्होने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे बड़े मन से काम करें। यह बात महत्व नहीं रखती कि आप कितने बुद्धिमान हैं, बल्कि महत्व इस बात का है कि आपका मन कितना बड़ा है और आपके संस्कार क्या हैं। उन्होने कहा कि जीवन की दिशा शिक्षा नहीं अपितु दीक्षा तय करती है। जीवन में असफलता से घबराना नहीं है क्योंकि कोई सफलता अंतिम नहीं होती और न ही कोई असफलता घातक होती है। दृढता और धर्य ही जीवन का मूल मंत्र है। अगर आपके अंदर साहस होगा तो आप जीवन में किसी भी मोर्चे पर सफलता हासिल कर सकते हैं। उन्होने कहा कि किसी भी देश का भविष्य आप जैसे नौजवानों पर ही निर्भर करता है। उन्होने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि आप सब आगे बढ़ें और नई टेक्नोलोजी खोजें, यही हमारी आशा है। राजनाथ सिंह ने भारत के विश्वव्यापी योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि पिछली सदी में पहले भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमण को मिले नोबेल पुरस्कार से लेकर इस सदी में गोड पार्टिकल जैसी विश्व की सबसे बड़ी खोज तक भारत का अहम योगदान रहा है।
मुख्यातिथि ने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि आपके जीवन में अब कई बदलाव आएंगे। आगामी जीवन की शुरुआत वहीं से होगी जो आपने शिक्षार्जन के दौरान सीखा है। आपको अपलाइड मोड में काम करना है। आने वाले समय में आपके सामने कई चुनौतियां होंगी। उस समय में इस विश्वविद्यालय से प्राप्त ज्ञान ही आपका सहारा होगा। उन्होने कहा कि मानवता के विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान व सिद्धांत विश्वविद्यालयों से ही मिलते हैं। रक्षामंत्री ने विभिन्न विदेशी विश्वविद्यालयों के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि आज गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और ट्विटर जैसी दुनिया की बड़ी कंपनियों को भारतीय लोग ही चला रहे हैं।
मुख्यातिथि ने भारत के अध्यात्म में योगदान की भी विस्तार से चर्चा की। उन्होने कहा कि अतीत में भारत विश्व गुरु रहा है, इसे दुनिया भी मानती है। एक समय था जब भारत ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया में नंबर वन था, परंतु सदियों की गुलामी के कारण बहुत से लोग इससे परिचित नहीं हैं। उन्होने जीरो के सिद्धांत से लेकर पाइथागोर्स थ्योरम, पृथ्वी गोल है, इंफिनिटी की थ्योरी और प्लास्टिक सर्जरी आदि सहित अनेकों उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि भारत अतीत में दुनिया में अग्रणी रहा है। उन्होने कहा कि हमारा सपना है कि भारत फिर से विश्व गुरु बने। हम भारत को शक्तिवान, धनवान व बलवान बनाना चाहते हैं तथा हर भारतीय को संस्कारवान बनाना चाहते हैं।
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि इस दीक्षांत समारोह में उपस्थित होने को वे अपना सौभाग्य मानते हैं। उन्होने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि वह एक शिक्षक और रिसर्चर भी रहे हैं तथा शिक्षा मंत्री भी रहे हैं, यही कारण है कि वे शैक्षिण कार्यक्रमों को सहज ही स्वीकृत दे देते हैं। उन्होने कहा कि वे जहां भी जाते हैं डीयू से जुड़े लोग उन्हें मिलते रहते हैं, उन लोगों को डीयू से जुड़े होने पर गर्व होता है। रक्षा मंत्री ने दीक्षण समारोह के अवसर पर डीयू के सभी सदस्यों को बधाई देते हुए डिग्री लेने वाले सभी विद्यार्थियों व उनके परिजनों को भी बधाई और शुभकामनाएं दी।
समारोह के आरंभ में डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने सभी का स्वागत किया व विश्वविद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होने इस दीक्षांत समारोह में डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी। उन्होने मुख्यातिथि का आभार जताते हुए कहा कि आज जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव की स्थिति है, भारत के कई प्रदेशों में चुनाव हो रहे हैं, उसके बावजूद रक्षामंत्री का इस समारोह के लिए समय निकालना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। कुलपति ने मुख्यातिथि के जीवन पर भी प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होने बताया कि आगामी एक मई 2022 से डीयू अपनी स्थापना का सौवां वर्ष माना रहा है। इसके साथ ही उन्होने डीयू की विश्व स्तर पर रेंकिंग का भी विस्तार से वर्णन किया। उन्होने बताया कि नई शिक्षा नीति एनईपी-2020 के तहत डीयू अब इंजीनियर्निंग में बीटेक कंप्यूटर साइंस, बीटेक एलेक्ट्रिकल, बीटेक एलेक्ट्रोनिक्स, इंटिग्रटेड 5 वर्षीय बीए एलएलबी व बीबीए एलएलबी जैसे नए प्रोग्राम भी शुरू करने जा रहा है।
इस अवसर पर समारोह में मुख्य रूप से डीन ऑफ कॉलेजज प्रो. बलराम पानी, डायरेक्टर साउथ दिल्ली कैम्पस प्रो. श्री प्रकाश सिंह, डीयू कुलसचिव डॉक्टर विकास गुप्ता, अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलसचिव डॉक्टर नितिन मालिक, डीयू पीआरओ अनूप लाठर आदि सहित सभी डीन, कालेजों के प्रिंसिपल, डिग्री व गोल्ड मैडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थी शिक्षक एवं गैर शिक्षक अधिकारी और कर्मचारी आदि उपस्थित थे। कोरोना प्रोटोकॉल के चलते अधिकतर विद्यार्थी ऑनलाइन मोड से समारोह का हिस्सा बने।
802 विद्यार्थियों को मिली पीएचडी की डिग्री
डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि इस वर्ष डीयू से 802 विद्यार्थियों ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त की जो विश्वविद्यालय के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक है। गणित विभाग से मनोज एवं वाणिज्य विभाग से बुरहानुदीन नामक 2 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री मरणोपरांत प्रदान की गई। इनके अलावा 173443 विद्यार्थियों को डिजिटल डिग्री प्रदान की गई। उन्होने बताया कि डिजिटल डिग्रियां डीयू द्वारा तैयार किए गए सॉफ्टवेयर “समर्थ ई गवर्नेंस ब्लॉक चेन” के माध्यम से उपलब्ध कारवाई गई हैं। इसके अलावा 158 विद्यार्थियों ने 197 स्वर्ण पदक प्राप्त किए (कुछ विद्यार्थियों को एक से अधिक स्वर्ण पदक मिले)। उन्होने बताया कि डॉक्टर ऑफ मेडिसन/ मास्टर ऑफ सर्जरी में 50 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई। इस समारोह का सीधा प्रसारण दिल्ली विश्वविद्यालय की वेबसाइट डबल्यूडबल्यूडबल्यू डॉट डीयू डॉट एसी डॉट आईएन पर भी दिया गया।
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