नई दिल्ली:साइंस लेटर संस्था द्वारा इंजीनियरिंग भवन नई दिल्ली में ‘जलवायु परिवर्तन एवं प्रभाव कारी जैविक विज्ञान में उभरती सीमाएं’ विषय पर दो दिवसीय दूसरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि संजय सिंह आईपीएस विशेष आयुक्त पुलिस ( लाइसेंसिंग व कानूनी प्रभाग) दिल्ली पुलिस ने वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन एवं प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते कहा कि जलवायु परिवर्तन से देश और दुनिया में बहुत तेज गति से बदलाव आ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बड़े पैमाने पर ग्लेशियर पिघल रहें हैं। अगर वैश्विक गर्मी और बड़ी तो दीर्घकाल में धीरे-धीरे प्रभाव दिखाई देगा। करोना कॉल का जिक्र करते हुए उल्लेख किया कि पर्यावरण परिवर्तन महसूस किया जा सकता था, परंतु आर्थिक क्षेत्र की गतिविधियां थम सी गई, यदि सभी देशों ने मिलकर ठोस कदम नहीं उठाया तो गलत संकेत को आमंत्रण होगा। उन्होंने कहा कि व्यापक रूप से ऊर्जा, यातायात, औद्योगिक क्षेत्र में बेहतर दिशा में कार्य करना समय की आवश्यकता है मुख्य अतिथि एवं भारतीय जनता पार्टी केसह प्रभारी जम्मू-कश्मीर आशीष सूद ने अपने संबोधन में उल्लेख किया है कि पर्यावरण को प्रभावित करने वाले पंच तत्व, पृथ्वी, जल, वायु, ऊर्जा एवं आकाश का संरक्षण हमारी संस्कृति का विरासत है।
सदियों से विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान सांस्कृतिक माध्यमों से जन सामान्य को जोड़कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हजारों वर्षों से कार्य किया। पर्यावरण संरक्षण में भारत में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, बायो मेडिकल वेस्ट, नदियों के संरक्षण वन संरक्षण, की दिशा में कार्य करते हुए जल, जंगल को बचाने का प्रयास किए गए। उन्होंने कहा कि केंट्र सरकार द्वारा इस दिशा में महिलाओं को रसोई गैस के 15 करोड़ सिलेंडर, शौचालय का निर्माण और ऊर्जा की दिशा में भी कार्य बड़ी तेजी से किए गए घर-घर जल मिशन पर कार्य किया जा रहा है। भारत में पेट्रोलियम उत्पादों को 90% केवल गाड़ियों में ईंधन के तौर पर प्रयोग होता है। भारत में गाड़ियों से प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है। इसी कारण सरकार बैटरी से चलाने वाली गाड़ियों पर अधिक जोर दे रही है। देश में बैटरी से चलने वाली गाड़ियों की संख्या बढ़ेगी तो लगभग 6000 करोड़ डॉलर यानी लगभग पांच लाख करोड रुपए की विदेशी मुद्रा बचेगी।
प्रोफेसर प्रकाश वीर खत्री पूर्व प्रिंसिपल स्वामी श्रद्धानन्द कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी ने वातावरण में हो रहे निरंतर परिवर्तन को मानव जीवन पर होने वाले प्रभावों का जिक्र करते हुए कहा है कि अपशिष्ट पदार्थों का सही प्रबंधन, संस्थानों की कमी महामारी वायु, आकाश और समुद्र पर होने वाले प्रभावों के कारण भविष्य पर होने वाले प्रभावों का नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। प्राकृतिक असंतुलन के रूप में देखा जा सकता है। वर्तमान में अर्थव्यवस्था के साथ-साथ यह भी आवश्यकता है कि जनसाधारण को इस दिशा में चिंतनशील होना होगा तथा वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर विचार करने की आवश्यकता है। प्रोफेसर रमेश कुमार गोयल कुलपति दिल्ली फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी ने अपने संबोधन में कहा, भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंब की संस्कृति है। व्यक्तिगत रूप से विश्व पर वातावरण में हो रहे परिवर्तन और मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को चुनौतियों के रूप में स्वीकार करना होगा। वर्तमान में पर्यावरण में जैविक, जलस्तर प्राकृतिक परिवर्तनों ने मानवीय जीवन संकट में डाल दिया है। परिणाम स्वरूप अनेक बीमारियों ने मानव जीवन को सीधे प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए 12 शिकायतों का उल्लेख किया है जिसमें व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों का उल्लेख किया। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वैज्ञानिकों शिक्षाविदों को कार्य करने की आवश्यकता है। डॉक्टर सरिता सचदेवा कुलपति मानव रचना विश्वविद्यालय द्वारा वैश्विक स्तर पर जलवायु में परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए मानव जाति के लिए घातक परिणामों से अवगत कराया। उन्होंने सलाह दी कि प्रत्येक नागरिक को इस दिशा में व्यक्तिगत रूप से भी चिंतन की आवश्यकता है। वातावरण में परिवर्तन भले ही धीमी गति से हो रहे हैं। लेकिन दीर्घकालिक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
डॉ० चारु राजपाल ने कहा कि पूरी दुनिया लगातार युद्ध एवं हथियारों के होड़ में लगी है जो कार्बन उतसर्जन को और बढ़ा रही है उन्होंने कहा कि सभी ज्वालामुखी जाग्रत हो चुके है जिससे भूकंम्प आने लगें है ऐसे समय में युवाओं एवं महिलाओं को आगे आकर सनातन संस्कृति की जीवन शैली को अपनाना होगा कम संसाधनों में जीने की आदत बनानी होगी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन समिति के सदस्य डॉ० सुमित डागर ने ब्यूरो चीफ विजय गौड़ को बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन दिल्ली सरकार के विशेष आयुक्त ( परिवहन ) दिल्ली सरकार ने बदलते जलवायु परिवर्तन पर लाहपरवाही को कड़ी चेतावनी का निमंत्रण बताते हुए प्राकृतिक संरक्षण के प्रति योगदान देने की अपील की सम्मेलन में रमेश बिधुरी सांसद , प्रोफेसर प्रवीण दहिया एमिटी यूनिवर्सिटी नोएड़ाएवं अनेक शिक्षाविदों ने अपने विचारी रखे दो दिन के इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के सफल आयोजन में डॉ० सुमित डागर , डॉ चारु राजपाल एवं डॉ० पूजा सोलंकी की अग्रणी भूमिका रही
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