नई दिल्ली| दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट रजिस्ट्रार (कॉलेजिज) ने विभिन्न कॉलेजों के प्रिंसिपलों , शिक्षण संस्थानों के प्रमुख व गवनिर्ंग बॉडी के चैयरपर्सन को सकरुलर जारी कर याद दिलाया है कि जिन संस्थानों में अस्थाई एक्टिंग प्रिंसिपल हैं या ऑफिसिएटिंग प्रिंसिपल हैं वहां पर किसी तरह की नियुक्ति नहीं हो सकती। असिस्टेंट रजिस्ट्रार के सकरुलर में शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक, गेस्ट टीचर्स हो, एडहॉक, टेम्परेरी समेत किसी भी तरह की नियुक्ति न करने को कहा गया है। इस संबंध में पुन सकरुलर जारी करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा है कि देखने में आया है कि कुछ कॉलेज या संस्थान नॉन टीचिंग पदों का विज्ञापन बिना दिशा निर्देशों पर ध्यान दिए निकाल रहे हैं जो कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों के बीच संबंधों में अविश्वास पैदा करता है। दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर मांग की है कि डीयू के असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा 22 अगस्त को जारी इस सकरुलर को वापिस लेने की मांग की है। टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कॉलेजों को एडहॉक शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति करने के निर्देश दिए जाएं ताकि शिक्षा प्रभावित न हो। उनका कहना है कि प्रिंसिपल के स्थायी न होने की स्थिति का प्रभाव किसी भी स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया में आड़े नहीं आना चाहिए।
असिस्टेंट रजिस्ट्रार (कॉलेजिज) ने कॉलेजों को जारी सकरुलर में नियुक्तियों के संबंध में क्लॉज 7 (2 ) अध्यादेश 18 के अंतर्गत स्पष्ट कहा गया है कि कॉलेज व संस्था को प्रिंसिपल की स्थायी नियुक्ति के बिना किसी भी तरह की नियुक्ति प्रक्रिया को स्थगित रखेंगे। इस संदर्भ में सभी संस्थानों के प्रमुखों से अनुरोध किया जाता है कि सलेक्शन कमेटी बुलाने हेतु विचार -विमर्श करें और प्रिंसिपल की स्थायी नियुक्ति के संदर्भ में जल्द से जल्द प्रयास करें और यह आश्वस्त करें कि जब तक स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक टीचिंग व नॉन टीचिंग की नियुक्ति नहीं की जाएगी।
डीटीए के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा यह सकरुलर उन कॉलेजों को भेजा गया है जिन कॉलेजों में ऑफिशिएटिंग या एक्टिंग प्रिंसिपल काम कर रहे हैं। उन कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपल की नियुक्ति न होने तक शिक्षकों व कर्मचारियों की कॉन्ट्रैक्ट, एडहॉक या रेगुलर आधार पर किसी तरह की कोई नियुक्ति नहीं होगी। ऑफिशिएटिंग प्रिंसिपलों के अलावा यह सकरुलर गवनिर्ंग बॉडी के चेयरमैनों को भेजा गया है ताकि वह नियुक्ति न कर सकें।
डॉ. सुमन ने कहा है कि इस तरह के सकरुलर को भेजे जाने से बेरोजगार शोधार्थियो, गैर शैक्षणिक कर्मचारियों में गहरा रोष व्याप्त है। पहले ही कॉलेज प्रिंसिपलों ने इन पदों को लंबे समय से नहीं भरा है।
–आईएएनएस
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