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डॉक्टरों ने 150 दिन से वेंटिलेटर पर पड़े नौनिहाल की जान बचाई

नई दिल्ली| पुणे में डॉक्टरों ने दुर्लभ निमोनिया से पीड़ित एक बच्चे को नया जीवन दिया है। ढाई साल का वरथ (बदला हुआ नाम) बाईलेटरल निमोनिया से पीड़ित था। यह एक गंभीर संक्रमण है जो फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकता है और उसे घायल कर सकता है। बुखार, सर्दी, खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देने के बाद उसे 150 दिन से अधिक समय तक वेंटिलेटर पर रखा गया था।

एक्स-रे से पता चला कि उसका 80 प्रतिशत फेफड़ा विषाणुजनित जीवाणु – स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया से संक्रमित था।

उसके फेफड़े के ऊतकों के अंदर और बाहर बनने वाले एयर पॉकेट को निकालने के लिए विशेष कैथेटर डाले गए थे, लेकिन फेफड़े की कार्यक्षमता में सुधार के लिए आगे के उपचार की आवश्यकता थी।

एहतियात के तौर पर सूर्या मदर एंड चाइल्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, पुणे के डॉक्टरों ने उसे मैकेनिकल वेंटिलेटर पर रखा, जो तीन महीने तक चला।

अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स एंड पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर डॉ. अमिता कौल ने कहा, निमोनिया का कोई भी मामला खराब हो सकता है। वरथ का मामला विशेष रूप से चिंताजनक था क्योंकि लंबे समय तक वेंटिलेशन ने आगे की जटिलताओं के लिए दरवाजे खोल दिए।

उन्होंने कहा, हमारी टीम ने जोखिमों को टाला और समय पर रिकवरी सुनिश्चित की।

ट्रेकियोस्टोमी यानी सांस लेने में मदद करने के लिए विंडपाइप में सुराख बनाने सहित कई प्रक्रियाओं के बाद और बार-बार चेस्ट ट्यूब डालने से वरथ आखिरकार अपने दम पर सांस लेने में सक्षम हो गया और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

डिस्चार्ज होने के बाद भी उसे ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत थी और उसके माता-पिता को ट्रेकियोस्टोमी देखभाल सिखाई गई थी।

दो महीने के नियमित फॉलो-अप के बाद ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब को हटा दिया गया। डॉक्टरों ने कहा कि वरथ अब स्वस्थ है और खुद से सांस लेने में सक्षम है।

पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में आक्रामक न्यूमोकोकल रोग को रोकने के लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है। वर्तमान में दो टीके उपलब्ध हैं – न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी13) और न्यूमोकोकल पॉलीसेकेराइड वैक्सीन (पीपीएसवी23)।

–आईएएनएस

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