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New Delhi: AISA activists stage a protest outside the Delhi Police headquarters against ABVP and Delhi Police in New Delhi on Feb 23, 2017. (Photo: IANS)

रामजस कॉलेज हिंसा मामले में 3 पुलिसकर्मी निलंबित

 

नई दिल्ली| दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी के रामजस कॉलेज में छात्रों के दो गुटों के बीच बुधवार को हुई झड़प के दौरान कुछ छात्रों तथा पत्रकारों की पिटाई के आरोप में तीन पुलिसकर्मियों को गुरुवार को निलंबित कर दिया। दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त दीपेंद्र पाठक ने आईएएनएस से कहा, “हमने दो हेड कॉन्स्टेबल तथा एक कॉन्स्टेबल को छात्रों तथा मीडियाकर्मियों की पिटाई के मामले में निलंबित कर दिया है।”

 

यह निलंबन विशेष पुलिस आयुक्त एस.बी.के.सिंह द्वारा उन सैकड़ों छात्रों को संबोधित करने के बाद सामने आया है, जो यहां पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। सिंह ने छात्रों से दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया था।

 

दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस इलाके के वरिष्ठ ऑफिसर इंचार्ज सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि आइसा तथा एबीवीपी के छात्रों के बीच झड़प के दौरान किसने लाठीचार्ज का आदेश दिया।

 

अधिकारी ने छात्रों तथा पत्रकारों पर हुए हमले पर खेद जताया और दोषियों को दंडित करने के लिए अपराध शाखा द्वारा एक निष्पक्ष जांच का वादा किया।

 

उन्होंने कहा, “मैंने पत्रकारों से लाठीचार्ज का वीडियो मुहैया कराने को कहा है।”

 

सिंह ने कहा कि बुधवार को हुई घटना की शिकायतें तथा वीडियो फुटेज लेने के लिए एक डेस्क बनाई जाएगी।

 

अधिकारी से बातचीत के बाद छात्रों ने पुलिस मुख्यालय के बाहर विरोध-प्रदर्शन को वापस ले लिया। प्रदर्शन के कारण घंटों यातायात बाधित रहा।

 

लेकिन, आइसा ने कहा है कि वह पुलिस के आश्वासन से संतुष्ट नहीं है।

 

आइसा नेता कवलप्रीत कौर ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने में विलंब पर निराशा जताई।

 

कौर ने कहा, “हमने संयुक्त आयुक्त से मुलाकात की, जिन्होंने शर्मनाक ढंग से प्राथमिकी दर्ज (एबीवीपी के खिलाफ) कराने के हमारे अधिकार से इनकार कर दिया और हमसे कहा कि पुलिस जो कह रही है, उससे संतुष्ट रहिए।”

 

उन्होंने कहा, “हम घटना के बारे में पुलिस की बात से सहमत नहीं हैं, जिसने पूरी घटना को वाम समूह तथा दक्षिणपंथी समूह के बीच एक दंगा बताया है।”

 

आइसा के एक अन्य नेता रामा नाग ने आईएएनएस से कहा कि छात्र घटना के सबूत पुलिस को सौंपेंगे। उन्होंने कहा, “हमारे पास फोटोग्राफ, वीडियो तथा घायल लोगों की चिकित्सकीय रिपोर्ट सहित सभी सबूत हैं।”

 

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एक रिपोर्ट मांगी है।

 

लेकिन, मंत्री ने रामजस कॉलेज में हुई हिंसा पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

 

आइसा के समर्थकों ने आरोप लगाया है कि जब एबीवीपी ने हंगामा शुरू किया, तो पुलिस मूकदर्शक बनी रही।

 

दिल्ली पत्रकार संघ ने पत्रकारों पर ‘प्रदर्शनकारियों तथा बिना नेमटैग वाले पुलिसकर्मियों’ के हमले पर आक्रोश जताया है।

 

वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) नेता कुमार विश्वास ने घटना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को जिम्मेदार ठहराया और छात्रों से विचारों के मतभेद पर लोकतांत्रिक तरीके से बहस करने का आह्वान किया।

 

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने एबीवीपी के ‘गुंडों’ द्वारा हिंसा की निंदा की और दिल्ली पुलिस की आलोचना की। उसने घटना को ‘आरएसएस-भाजपा की सरकार द्वारा समर्थित हिंसक असहिष्णुता का शर्मनाक उदाहरण’ बताया।

 

राष्ट्रद्रोह के आरोप में पिछले साल जेल जा चुके जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र उमर खालिद को रामजस कॉलेज में ‘विरोध की संस्कृति’ नामक साहित्यिक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित करने को लेकर रामजस कॉलेज में झड़प हुई थी।

 

एबीवीपी के विरोध के कारण मंगलवार तथा बुधवार को यह कार्यक्रम नहीं हो सका।

–आईएएनएस

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