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New Delhi: Prime Minister Narendra Modi is garlanded by Delhi BJP leaders as Home Minister Amit Shah and BJP National President J.P. Nadda look on at BJP headquarters following the party's victory in the Delhi Assembly elections, in New Delhi on Saturday, February 08, 2025. (Photo: IANS)

दिल्ली व‍िधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत, ऐसे तोड़ा ‘आप का तिलिस्म’

नई दिल्ली, 8 फरवरी । दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल कर आम आदमी पार्टी (आप) को करारी शिकस्त दी। भाजपा को 48 तो ‘आप’ को 22 सीटें मिलीं। वहीं, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस एक बार फ‍िर खाता खोलने में असफल रही।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा को 45.56 प्रतिशत और ‘आप’ को 43.57 प्रतिशत वोट मिले। हालांकि, सीटों के मामले में 48 का आंकड़ा हासिल कर भाजपा काफी आगे निकल गई। इस चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के पीछे कई फैक्टर्स की चर्चा की जा रही है, जिसमें तो कई ऐसे हैं, जिस पर शायद ही किसी का ध्यान गया।

दिल्ली चुनाव के प्रचार को देखें तो भाजपा के बड़े चेहरे स्टार प्रचारक की भूमिका में मैदान में उतरे और पार्टी के लिए जोरदार प्रचार किया। भाजपा के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सबसे बड़े स्टार प्रचारक रहे, जिनकी बदौलत पार्टी लगातार हर चुनाव में शानदार प्रदर्शन करती आ रही है। वहीं, भाजपा ने संगठन स्तर पर भी जनता से संवाद का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दिया। खास बात यह रही कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का कोई जिक्र तक सामने नहीं आया।

कहा तो यहां तक जा रहा है कि आरएसएस जमीन पर सक्रिय था। इसने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों से भाजपा को जोड़ने के लिए एक पुल के रूप में काम किया। कभी इस वोट बैंक को कांग्रेस और ‘आप’ का माना जाता था। इस चुनाव में जिस तरह के नतीजे आए हैं, उससे साफ इशारा है कि वोट बैंक के मामले में भी भाजपा अपने विरोधियों से कहीं आगे निकल गई।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा ने भी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के लिए ‘प्रवास अभियान’ शुरू किया। यह अभियान पिछले साल जुलाई से दिसंबर तक चला। इस दौरान भाजपा के नेता और कार्यकर्ता रात्रि प्रवास करते थे। लोगों से बातें करते थे। उनकी समस्याओं के बारे में भी जानकारी जुटाते थे। कहीं ना कहीं भाजपा का यह प्रयास दिल्ली चुनाव के नतीजों में मजबूत आंकड़ों के रूप में देखा जा रहा है।

दिल्ली में भाजपा की प्रचंड जीत के पीछे कांग्रेस को भी अहम कारण माना जा रहा है। हालांक‍ि कांग्रेस का खाता नहीं खुला है। इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 6.34 प्रतिशत वोट हासिल हुआ है। यह पिछले चुनाव की तुलना में करीब दो प्रतिशत ज्यादा है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के कारण ‘आप’ को 10 से ज्यादा सीटों का नुकसान हुआ है।

सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार ने कुछ दिनों पहले आम बजट में 12 लाख रुपये तक की कमाई पर आयकर छूट का तोहफा दिया। इसे भी दिल्ली चुनाव के नतीजों में ‘गेम चेंजर’ माना जा रहा है। दिल्ली में एक बड़ी आबादी मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा वर्ग की है। आयकर में छूट देने से मोदी सरकार के ऐलान से मध्यम और नौकरीपेशा वर्ग का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ा।

चुनाव में पूर्वांचली वोट बैंक का भाजपा की तरफ आना भी नतीजों में दिखा। कभी इस वोट बैंक को ‘आप’ के साथ माना जाता था। लेकिन, कुछ महीने पहले से जिस तरह से भाजपा ने पूर्वांचली समाज से जुड़े मुद्दों को उठाया। इसमें कोरोना के समय पूर्वांचली लोगों को दिल्ली से बाहर भेजना हो या छठ पूजा के आयोजन को लेकर ‘आप’ नेताओं पर गंभीर आरोप, इन तमाम मुद्दों से एक तरफ भाजपा को फायदा हुआ, तो ‘आप’ को तगड़ा नुकसान हुआ।

चुनाव में भाजपा ने अपने प्रचार अभियान में शीश महल, वायु प्रदूषण और यमुना नदी से जुड़े मुद्दों को जोरशोर तरीके से उठाया। आम आदमी पार्टी उसकी काट नहीं ढूंढ पाई।शीशमहल और यमुना की सफाई से जुड़े मुद्दे पर आम आदमी पार्टी शुरू से ही ‘बैकफुट’ पर नजर आती रही। आप नेताओं ने वायु प्रदूषण और यमुना नदी से जुड़े मुद्दों को हल करने में विफल रहने का ठीकरा एलजी और केंद्र सरकार पर फोड़ा।

अरविंद केजरीवाल ने तो यहां तक कह दिया कि उनके नेताओं (खुद उन्हें भी) को राजनीतिक षड्यंत्र के तहत जेल भेजने के कारण दिल्ली के विकास पर ब्रेक लग गया। लेकिन, भाजपा दिल्ली की जनता के मन में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की असफलता को बैठाने में सफल रही।

–आईएएनएस

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