नई दिल्ली: अरे! ग्यारह साल छोटा है उससे..मां-बेटे की जोड़ी लगती है..इसे शर्म नहीं आती..ये वे चंद अल्फाज हैं, जो इन...
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आने वाली पंजाबी कॉमेडी फ्लिक ‘मर गए ओए लोको’ दुनिया भर में पंजाबी फिल्मों के प्रशंसकों के उत्साह को दुगुना करने के साथ ही भरपूर प्रशंसा भी हासिल कर रही है। अपनीइसी फिल्म का प्रमोशन करने के सिलसिले में पंजाबी फिल्मों के सुपरस्टार गिप्पी ग्रेवाल फिल्म की अभिनेत्री बिन्नू ढिल्लों एवं पूरी स्टार कास्ट के साथ दिल्ली पहुंचे जहां होटल लीमेरीडियन में आयोजित मीडिया इंटरेक्शन के दौरान पत्रकारों के साथ अपने अनुभव और फिल्म से जुड़ी बातें साझा कीं। बता दें कि इस फिल्म का डायरेक्शन सिमरजीत सिंह ने कियाहै, जबकि इसके निर्माता खुद गिप्पी ग्रेवाल हैं। मीडिया से बात करते हुए गिप्पी ने कहा, ‘यह एक अनूठी अवधारणा है, जिसे हम आपको कॉमिक तरीके से पेश कर रहे हैं। फिल्म की कहानी एक मजबूत संदेश दे रही है, लेकिनइसके लिए हास्य-विनोद का तरीका चुना गया है। चूंकि पंजाबी प्रशंसकों को हल्के मूड की फिल्में पसंद हैं, इसलिए हमारे सामने एक कॉमिक तरीके से एक संदेश पेश करना बहुत बड़ाचैलेंज था। हमने इस फिल्म के विचार को एक अंग्रेजी उपन्यास से लिया है, जिसे एक अलग रणनीति के तहत प्रस्तुत किया है।’ उन्होंने कहा, ‘वास्तव में इस फिल्म की मूलअवधारणा बेहद अविश्वसनीय है। फिल्म का शीर्षक भी इसकी कहानी को औचित्य देता है।’ पंजाबी फिल्मों के बारे में गिप्पी ने कहा, ‘मुझे वाकई खुशी है कि पंजाबी फिल्मों की दुनिया भर में सराहना की जाती है। खास बात यह है कि भारत के विभिन्न राज्यों के लोग भी पंजाबी फिल्मों को सकारात्मक प्रतिक्रिया और प्यार दे रहे हैं। इसकी वजह से पंजाबी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा पैसा मिल रहा है।’ इस फिल्म में काम करने के अपने अनुभव के बारे में अभिनेत्री बिन्नू ने कहा, ‘यह वास्तव में मेरे लिए एक अलग तरह की फिल्म थी।गिप्पी और सपना के साथ काम करना बेहदअच्छा और अलग था। मैं लंबे समय से गिप्पी के साथ काम कर रही हूं। इस फिल्म में कॉमेडी मेरी हाल की फिल्मों से काफी अलग है। इस बार हम हास्य के माध्यम से एक अलग तरहका संदेश लेकर आ रहे हैं।’ उल्लेखनीय हम्बल मोशन पिक्चर्स के बैनर तले बनी यह फिल्म 31 अगस्त को रिलीज होनेवाली है।
कई फिल्मों के लिए टाइटल सॉन्ग लिख चुके देश के सबसे कम उम्र में साहित्य के लिए चौथा सबसे बड़ा भारतीय नागरिक पुरस्कार ‘पद्मश्री’ अवॉर्ड पाने वाले कवि डॉ. सुनील जोगी के करियर में एक और नई चीज जुड़ गई है, कवि एवं गीतकार के बाद अब वह एक्टर भी बन गए हैं। भारत के अतिरिक्त अमेरिका, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, नार्वे, दुबई, ओमान, सूरीनाम जैसे अनेक देशों में कईकई बार काव्य यात्राएं करने वाले सुनील जोगी न केवल विभिन्न विधाओं में 75 से भी ज्यादा पुस्तकें लिख चुके हैं, बल्कि गीत-गजल एवं भजन के 30 से ज्यादा ऑडियो-वीडियो भी ला चुके हैं। पिछले दिनों जहां ये अनुराग बासु के निर्देशन में बनी फिल्म ‘मुक्काबाज’ में शामिल की गई अपनी एक चर्चित कविता के लिएसुर्खियां बटोर ले गए, तो अब कई फिल्मों के लिए गीत लेखन के साथ एक्टिंग में भी हुनर दिखाने के कारण चर्चा में हैं। जी हां, हास्यव्यंग्य की विधा के सर्वाधिक चर्चित एवं प्रशंसित ‘यश भारती’ अवॉर्ड से विभूषित कवि, मंच संयोजक, लेखक, गीतकार और एक्टर हैं डॉ. सुनील जोगी। पेश है, डॉ. सुनील जोगी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश- - आजकल आपकी कविताओं की धमक कवि सम्मेलनों के साथ 70 एमएम के पर्दे पर भी बढ़ रही है। यह कैसे संभव हुआ? मेरे लिए फिल्मों के लिए गाने लिखना कोई नई बात नहीं है। यह अलग बात है कि पिछले दिनों रिलीज फिल्म ‘मुक्काबाज’ में मेरी एक चर्चित कविता ‘ मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये’ सुनने के बाद लोगों को लगा कि मैं फिल्मी गीत भी लिखने लगा हूं, लेकिन ऐसी शुरुआत मैंने काफी पहलेही कर दी थी। ‘थोड़ा मैजिक थोड़ी लाइफ’,‘फन’,‘बैड फ्रेंड’ जैसी फिल्मों के टाइटल सॉन्ग के साथ मैंने इन फिल्मों के लिए गाने भी लिखे थे, लेकिन बाद में मंचों एवं अलबमों में अत्यधिक सक्रियता के कारण फिल्मों से दूरी बढ़ गई थीलेकिन, फिल्म ‘मुक्काबाज’ ने मुझे दुबारा बॉलीवुड में सक्रिय कर दिया है। - ‘मुक्काबाज’ में आपकी कविता को शामिल किए जाने के निर्णय की पूर्व सूचना आपको दी गई थी या नहीं? जी, बिल्कुल दी गई थी और फिल्म के सिचुएशन के हिसाब से इसमें कुछ आवश्यक संशोधन भी करवाए गए थे। दरअसल, ‘मुक्काबाज’ के एक्टर विनीत सिंह मेरे जानने वालों से हैं। उन्होंने ही मुझे फोन करके बताया था कि अनुराग बासु मुझसे बात करना चाहते हैं।अनुराग बासु से बात हुई, तो उन्होंने मुझसे यह कविता अपनी फिल्म में शामिल करने की इजाजत मांगी। मैंने स्वीकृति दे दी। इसके बाद उन्होंने कहा कि फिल्म के हिसाब से कविता की कुछ पंक्तियों को बदल दें, तो बेहतर होगा। मैंने वैसा कर दिया और वह फिल्म में शामिल हो गई। इसका फायदा यह हुआ कि अनुराग बासु से भी मेरी अच्छी दोस्ती हो गई और आगे साथ काम करने का रास्ता भी खुल गया। - पहले कवि, फिर गीतकार और अब एक्टर... यह गंभीर बदलाव कैसे संभव हुआ?...
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