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चीन ने फिर से लगाए नए शिविर, भारत ने लद्दाख में बढ़ाई सैनिकों की संख्या

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की बातचीत सकारात्मक मोड पर खत्म होने के बावजूद पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स, देपसांग और पैंगोंग झील के इलाके की स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इन स्थानों पर तनाव बढ़ा हुआ है, जिसे देखते हुए भारत ने यहां पर सुरक्षा बलों की संख्या में कई गुना इजाफा किया है। उन्होंने कहा कि चीन भी दूसरी तरफ रक्षा ढांचे का निर्माण कर रहा है।

पैंगोंग झील के पास चीनी सैनिक फिंगर-4 स्थान तक पहुंच गए हैं, जहां वे 120 से अधिक वाहनों और एक दर्जन नावों को लेकर आए हैं। चीनी सेना ने भी गलवान के उत्तर में स्थित पठार देपसांग बुल के पास के क्षेत्र में एक नया मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने शिविर लगाए हैं और वाहनों व सैनिकों को तैनात किया है।

चीनी सेना द्वारा गलवान में पैट्रोलिंग प्वाइंट-14, कोंगका ला में पैट्रोलिंग प्वाइंट-15 और हॉट स्प्रिंग्स में पैट्रोलिंग प्वाइंट-17 पर फिर से जुटना शुरू कर दिया है, जबकि वह रक्षा बुनियादी ढांचे को हटाने के लिए सहमत हो गए थे।

इसके अलावा आपसी सहमति को दरकिनार करते हुए चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान पैट्रोलिंग प्वाइंट-14 पर फिर से लौट आए हैं, जहां 15 जून की रात उसने भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमला किया था, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।

सूत्रों ने कहा कि पीएलए ने उसी जगह पर शिविर (टेंट) और एक अवलोकन बिंदु स्थापित किया है, जहां वे 15 जून को थे। सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिक अपने सेटअप को वहां से ले जाने पर सहमत होने के बाद भी बड़े पैमाने पर सुदृढ़ीकरण के साथ फिर से लौट आए हैं।

सूत्रों ने कहा कि 22 जून को भारत और चीन के बीच 11 घंटे तक चली लंबी कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के दौरान यह कहा गया था कि तनाव दूर करने के लिए आपसी सहमति अपनाई जाएगी। इस दौरान पूर्वी लद्दाख से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा की गई थी।

सीमावर्ती मुद्दे को हल करने और पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के सैन्य अधिकारी मोल्दो में मिले थे। यह छह जून को पहली बैठक के बाद तनाव दूर करने के उद्देश्य से उनकी दूसरी बैठक थी।

बैठक 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग के सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन के बीच हुई।

सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिक उसी स्थान पर वापस आ गए हैं, जहां संघर्ष हुआ था। सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना की तैनाती भारत सरकार के लिए एक बड़ी चिंता है, लेकिन पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेनाएं किसी भी संघर्ष के लिए तैयार हैं।

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गलवान घाटी में पैट्रोलिंग प्वाइंट नंबर-14 पर जब चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने भारतीय सेना के जवानों पर हमला किया, तब इनकी संख्या पीएलए की अपेक्षा महज 1:5 थी। यानी पांच चीनी सैनिकों का सामना करने के लिए सिर्फ एक भारतीय सैनिक था।

छह से सात घंटे तक गलवान नदी के पास चली झड़प के बारे में बात करते हुए भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा, “हमारी संख्या कम थी।” दोनों पक्षों के बीच सोमवार रात हुई झड़पों के बारे में सरकार के सूत्रों का कहना है कि चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर बुरी तरह से हमला किया।

सूत्रों ने बुधवार को कहा, “भारतीय सैनिकों के खिलाफ संख्या बढ़ाई गई थी। फिर भी, भारतीय पक्ष ने पीएलए से लड़ने का फैसला किया। भारतीय सैनिकों की संख्या चीनी सैनिकों की अपेक्षा 1:5 थी।”

यह भी बताया गया है कि चीन ने भारतीय सैनिकों का पता लगाने के लिए थर्मल इमेजिंग ड्रोन का भी इस्तेमाल किया था। सरकारी सूत्रों ने कहा, “हमारी याद में यह चीनी सेना द्वारा भारतीय सेना के जवानों पर किया गया सबसे घातक हमला था।”

–आईएएनएस

 

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