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Film Review: दर्शकों को बांधने में नाकाम रही “बाबूमोशाय बंदूकबाज”

 

एस पी चोपड़ा,

#बाबूमोशाय – शब्द सुनते ही सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की याद आ जाती है. हालांकि यह और बात है कि उस दौर में जिन खासियतों ने उन्हें सुपरस्टार बनाया था, वो आज उतनी जरूरी नहीं रह गई हैं. सिनेमा के इस बदले मिजाज ने आज इस इंडस्ट्री को अपनी तरह के वर्सेटाइल सुपरस्टार दिए हैं. इनमें से एक नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी हैं.

बाबूमोशाय बंदूकबाज की कहानी में बाबू (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) एक कांट्रैक्ट किलर है और एक महिला नेता जिजी (दिव्या दत्ता) के लिए काम करता है. लेकिन किसी बात पर जिजी और बाबू के बीच बात बिगड़ जाती है और वो उन्हीं के गुर्गों को मारने का ठेका ले लेता है.

इसी दुश्मनी के बाद शुरू होता है, डबल क्रॉस, ट्रिपल क्रॉस, लव सेक्स एंड धोखा, और इन सब के शिकार होते हैं फुलवा(बिदिता बाग), बांके (जतिन गोस्वामी) जैसे कई किरदार. कहानी में कई सारे मोड़ आते हैं। फिल्म में क्या क्या मोड़ आएंगे क्या होगी आगे की कहानी उसके लिए आपको थियेटर जाना चाहिए.

फिल्म में नवाज छाए हैं। भले ही वह टॉल नहीं हैं परंतु डार्क-हैंडसम आत्मविश्वास के साथ भूमिका से न्याय करते हैं. समस्या तब आती है जब उनके सामने कमजोर एक्टर होते हैं. बांके की भूमिका में जतिन निराश करते हैं. बिदिता बेग जरूर नवाज के साथ जमती हैं और दोनों एक-दूसरे के साथ सहज हैं.

स्थानीय नेताओं की भूमिका में दिव्या दत्ता और अनिल जॉर्ज का काम भी अच्छा है. अभिनेताओं के बढ़िया परफॉरमेंस के बावजूद फिल्म अपने कथानक और निर्देशन से दर्शकों को बांधने में नाकाम है.वहीं म्यूज़िक के लिहाज़ से भी फिल्म मात खा गई.

#स्टारकास्ट : नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, बिदिता बाग, श्रद्धा दास, दिव्या दत्ता।

#निर्देशक : कुषन नंदी.

#प्रोड्यूसर : किरण श्याम श्रॉफ, अष्मित कुंदर, कुषन नंदी.

#लेखक : गालिब असद भोपाली.

#रेटिंग : 2.5/5

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