नई दिल्ली, 12 फरवरी:केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने भारत ऊर्जा सप्ताह 2025 के दूसरे दिन भोजन बनाने के स्वच्छ तौर-तरीकों पर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता की। श्री पुरी ने जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता, मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के वितरण नेटवर्क के डिजिटलीकरण और भोजन बनाने के स्वच्छ उपायों की दिशा में सांस्कृतिक बदलाव को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रव्यापी अभियानों के माध्यम से सबके लिए स्वच्छ रसोई गैस की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भारत की उल्लेखनीय सफलता पर प्रकाश डाला।
इस सत्र में ब्राजील, तंजानिया, मलावी, सूडान और नेपाल तथा अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए), टोटल एनर्जी और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के प्रतिनिधियों सहित उद्योग जगत के दिग्गज शामिल हुए।
श्री पुरी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का मॉडल न केवल सफल है, बल्कि ईंधन की उपलब्धता के मामले में इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे अन्य पिछड़े और अल्प-विकसित देशों में भी इसका अनुकरण किया जा सकता है। मंत्री महोदय ने कहा कि भारत की प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के अंतर्गत लाभार्थियों को प्रतिदिन केवल 7 सेंट की बेहद सस्ती कीमत पर एलपीजी उपलब्ध कराई जाती है, जबकि अन्य उपभोक्ता 15 सेंट प्रतिदिन की दर पर खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन का लाभ उठा सकते हैं। व्यापक रूप से अपनाये जाने पर यह सस्ती दर आमूल-चूल परिवर्तनकारी है।
चर्चा के दौरान अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने खाना पकाने के स्वच्छ उपायों तक पहुंच बढ़ाने में अपने अनुभव और चुनौतियों के बारे में जानकारी साझा की। तंजानिया के उप प्रधान मंत्री और ऊर्जा मंत्री माननीय डीकेटी. डोटो माशाका बिटेको ने वित्तीय सहायता और एलपीजी, प्राकृतिक गैस और बायोगैस सहित कई ऊर्जा स्रोतों के मिलकर उपयोग का लाभ उठाते हुए 2030 तक 80% घरों को खाना पकाने के स्वच्छ उपायों के लिए सक्षम बनाने की अपनी रणनीति की रूपरेखा की जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि इस प्रक्रिया में वित्तीय बाधाओं को दूर करना, बुनियादी ढांचे की ऊंची लागत में कमी और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए नियामक सुधारों की आवश्यकता सहित महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं।
सूडान के ऊर्जा और तेल मंत्री महामहिम डॉ. मोहिल्दियन नईम मोहम्मद सईद ने एलपीजी आपूर्ति में अंतर को दूर करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि उनका देश अभी भी अपनी आवश्यकता पूरी करने के लिए बड़ी मात्रा में ईंधन आयात करता है। स्थानीय सिलेंडर उत्पादन को प्रोत्साहन और सस्ती दर पर आयात सुनिश्चित करना खाना पकाने के स्वच्छ उपायों को व्यापक रूप से अपनाने में प्रमुख बाधाएं बनी हुई हैं। रवांडा और नेपाल के प्रतिनिधियों ने इलेक्ट्रिक स्टोव और बायोगैस विस्तार के माध्यम से जलावन की लकड़ी पर निर्भरता कम करने के अपने प्रयासों के बारे में जानकारी साझा की।
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) की उप कार्यकारी निदेशक मैरी बर्स वार्लिक ने कहा कि विशेष रूप से सस्ते ईंधन, उसकी उपलब्धता और बुनियादी ढांचे से संबंधित चुनौतियों से निपटने में भारत की सफलता अन्य देशों के लिए मूल्यवान सबक है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर खाना पकाने के स्वच्छ उपायों की उपलब्धता के लिए रियायती वित्तपोषण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) की भूमिका पर जोर दिया। इसे बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए महत्वपूर्ण कदमों के रूप में सांस्कृतिक स्वीकृति और कर कटौती जैसे विनियामक समायोजन का भी उल्लेख किया गया।
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बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के साझेदार राहुल पाणंदिकर ने भारत में खाना पकाने के स्वच्छ उपायों में बदलाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसके लिए मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता, प्रभावी तरीके से जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने और मजबूत जन जागरूकता अभियानों का उल्लेख किया। उन्होंने भारत की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंतिम व्यक्ति तक एलपीजी की आपूर्ति को सक्षम करने और उसके उपयोग की व्यवस्था को सरल बनाने का श्रेय दिया। राहुल पाणंदिकर ने निरंतर उपयोग सुनिश्चित करने और आर्थिक स्थिरता के साथ सामर्थ्य को संतुलित करने के लिए सिलेंडर रिफिल मॉडल को परिष्कृत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
श्री पुरी ने पिछड़े और अल्प-विकसित देशों में खाना पकाने की स्वच्छ तकनीकों के विस्तार में सौर कुकरों की क्षमता के संबंध में बताया कि एकीकृत सौर पैनल वाले आईओसीएल के उन्नत सौर कुकर की कीमत लगभग 500 डॉलर प्रति यूनिट है और उन्हें जीवनभर उपयोग में लाने में कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होता है। मंत्री महोदय ने कहा कि हालांकि व्यापक रूप से इसे अपनाने में मौजूदा कीमत बड़ी चुनौती है, लेकिन कार्बन वित्तपोषण का लाभ उठाने और निजी क्षेत्र के साथ सहयोग से लागत कम हो सकती है, जिससे लाखों लोगों के लिए सौर तरीके से खाना पकाना व्यावहारिक विकल्प बन सकता है।
यह पहल एलपीजी से हटकर खाना पकाने के स्वच्छ विकल्पों में विविधता लाने के भारत के व्यापक प्रयासों के अनुरूप है, तथा पारंपरिक जैव ईंधन पर निर्भरता कम करने और कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने की देश की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करती है।
श्री पुरी ने विश्व भर में ऊर्जा की उपलब्धता की पहलों का समर्थन करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए चर्चा का समापन किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्मार्ट सब्सिडी और टिकाऊ नीतियों के कारण भारतीय मॉडल, खाना पकाने के स्वच्छ उपायों को अपनाने का प्रयास करने वाले अन्य विकासशील देशों के लिए उचित समाधान प्रदान करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पारंपरिक जैव ईंधन से खाना पकाने से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले गंभीर असर को देखते हुए सभी लोगों तक खाना पकाने के स्वच्छ उपायों की पहुंच सुनिश्चित करना न केवल आर्थिक बल्कि नैतिक अनिवार्यता भी है।
इस गोलमेज सम्मेलन ने ऊर्जा परिवर्तन और खाना पकाने के स्वच्छ उपायों के क्षेत्र में भारत के वैश्विक नेतृत्व की स्थिति की पुष्टि की, तथा स्वच्छ ऊर्जा तक सबकी पहुंच के लिए अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का मंच तैयार किया।
भारत ऊर्जा सप्ताह 2025 के बारे में
भारत ऊर्जा सप्ताह को मात्र एक और उद्योग सम्मेलन से कहीं बढ़कर माना गया था – इसे वैश्विक ऊर्जा संवादों को फिर से परिभाषित करने वाला एक गतिशील मंच बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था। केवल दो वर्षों में, इस स्व-वित्तपोषित पहल ने ठीक यही लक्ष्य हासिल किया है, और यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऊर्जा संबंधी आयोजन बन गया है। नई दिल्ली के यशोभूमि में 11-14 फ़रवरी, 2025 को आयोजित इसका तीसरा संस्करण ऊर्जा संबंधी विषय पर वैश्विक चर्चा को आकार को देने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
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