नई दिल्ली | मणिपुर के बाद अब पंजाब में भी एनडीए के लिए मुश्किलें बढ़ने लगी है। भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी, अकाली दल ने किसानों और डीजल -पेट्रोल के बढ़ते दामों पर अपने तेवर कड़े कर लिये है। यहां तक कि अकाली दल ने इस मुद्दे पर एनडीए से अलग होने की धमकी तक दे दी है।
पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि मंत्री पद और गठबंधन हमारे लिए किसानों से बढ़कर नहीं है। हम कुबार्नी दे सकते हैं। सुखबीर बादल के मुताबिक अगर पंजाब सरकार डीजल पर 10 रुपये कम कर दे, तो वो पंजाब की सभी पार्टियों के साथ मिलकर टैक्स कम करवाने को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली में धरना देने को तैयार हैं।
इसके अलावा सुखबीर बादल ने केंद्र से कहा है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। फसलों की एमएसपी के मुद्दे पर धमकी देते हुये बादल ने कहा अगर केन्द्र ने इस मुद्दे पर कदम नहीं उठाया तो अकाली दल न तो गठबंधन की परवाह करेगा और न ही सरकार में भागीदारी की। अकाली दल किसी भी कुर्बानी के लिए तैयार है।
शिरोमणि अकाली दल के ताजा तेवर पर भाजपा संभल कर प्रतिक्रिया दे रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री कहते है कि शिरोमणि अकाली दल हमारा सबसे विश्वसनीय सहयोगी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने किसानों के लिये बहुत कुछ किया है और आगे भी सहयोगियों की भावना का समुचित ध्यान रखा जाएगा है। इसके साथ ही भाजपा ने अपनी मजबूरियां भी गिना दी। भाजपा ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने के मुख्य कारण उसपर राज्य सरकारों द्वारा लगाया गया वैट है। भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम कहते हैं कि पेट्रोलियम पदार्थों से आय का 39 फीसदी राज्य सरकारों को जाता है। केन्द्र सरकार गरीब कल्याण के लिये अनेक प्रकार की योजना चला रही है। सरकार के पास कोई लिक्विडिटी सपोर्ट नही है।
जाहिर है एक ओर भाजपा सहयोगी दलों की भावना की कद्र करने की बात कह रही है, वहीं दूसरी ओर अपनी मजबूरी भी गिना रही है। लेकिन इन सब के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने शिरोमणि अकाली दल को भी साधना शुरू कर दिया है। जानकारी के मुताबिक डैमेज कंट्रोल की कोशिशें दोनों तरफ से शुरू हो गयी है, ताकि मणिपुर जैसी स्थिति से बचा जा सके।
— आईएएनएस
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