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RTI से खुलासा पीएम मोदी ने कभी नहीं बेची रेलवे स्टेशन पर चाय, पढ़े पूरी खबर

नरेंद्र मोदी ने कई बार अपने भाषणों में जिक्र किया कि उनका बचपन बहुत गरीबी में बीता और उन्होंने रेलगाडियों में चाय तक बेची है. लेकिन उनके कई दावों की तरह यह दावा भी चुनावी जुमला साबित होता नजर आ रहा है. गौरतलब है कि रेलवे में किसी भी तरह की वेंडरिंग के लिए वैध दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं. चाय बेचने वाले से लेकर कुली तक सिर्फ अधिकृत व्यक्ति ही रेलवे में काम कर सकते हैं. बिना संबंधित अनुमति के रेलवे में सामान बेचना अपराध की श्रेणी में आता है.
पहले देखिए यह वीडियो जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 नवंबर 2018 को ट्वीट किया था जिसमें वह चाय की जिक्र कर रहे हैं
“कांग्रेस को अभी भी हैरानी है कि एक चायवाला पीएम बन गया! और, कांग्रेस की पीड़ा का कारण यह भी है कि चार पीढ़ियों ने जो जमा किया था, वो पैसा अब कुछ परिवारों के लिए नहीं, बल्कि जनता के विकास के लिए खर्च हो रहा है”।

2014 में जब यह बात बहुत ज्‍यादा चर्चित हो गई थी, तब कांग्रेस समर्थक और सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने इस बारे में एक आरटीआई भी दायर की थी। इसके तहत रेलवे बोर्ड से यह जानकारी मांगी थी कि क्या ऐसा कोई रिकॉर्ड, रजिस्ट्रेशन नंबर या नरेंद्र मोदी को स्टेशन या ट्रेन में चाय बेचने के लिए निर्गत आधिकारिक पास उपलब्ध है? 2015 में आई खबरों के अनुसार, इस आरटीआई के जवाब में रेल मंत्रालय ने कहा, “रेलवे बोर्ड के पर्यटन और खानपान निदेशालय की टीजी III ब्रांच में ऐसी किसी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं है।”

इस संबंध में जब पूनावाला से पूछा गया कि जब आरटीआई का जवाब अगस्त में ही आ गया था तो वे छह महीने बाद फरवरी में इसे क्यों सार्वजनिकर कर रहे हैं, तो पूनावाला ने कहा, मैं प्रधानमंत्री जी के पारिवारिक बैकग्राउंड के बारे में लंबे समय से जानता हूं. मैं उनके रहन-सहन से भी लंबे समय से परिचित हूं. वे हमेशा से महंगी चीजों और शानदार जीवनशैली के कायल रहे हैं. ऐसे में मेरी जिज्ञासा हुई कि आखिर उन्होंने रेल में चाय कब बेची. जहां तक अब इस बात को सार्वजनिक करने का सवाल है तो अगर अगस्त में मैं इसे सार्वजनिक करता लोग कहते कि मैं एक गरीब व्यक्ति के प्रधानमंत्री बनने से जल रहा हूं. तब जनता मैं अलग किस्म का उत्साह था. लेकिन अब उनके महंगे कोट के किस्से सब जगह चल रहे हैं और जनता उनकी सच्चाई सुनने को तैयार है तो मैंने यह आरटीआई सार्वजनिक की.

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