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शंकर संस्कृति प्रतिष्ठान द्वारा साहित्यकार और पूर्व सांसद, डाॅं शंकर दयाल सिंह की 82वीं जयन्ती का आयोजन किया

प्रसिð साहित्यकार और पूर्व सांसद डाॅं शंकर दयाल सिंह की 82वीं जयन्ती के अवसर पर शंकर संस्कृति प्रतिष्ठान द्वारा डाॅं शंकर दयाल सिंह जयन्ती समारोह-2019 का आयोजन एनडीएमसी सभागार, नई दिल्ली में किया गया ।

इस अवसर पर माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री, श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने भोपाल में एक कार्यक्रम में जाते समय इस समारोह के लिए अपनी विमान यात्रा से ही एक संदेश भी भेजा था, जो प्रकाशन के लिए संलग्न है ।

आज के समय में उनके लेख और विचार सभी को प्रेरित करते हैं जो देश की अखण्डता, एकता, सहजता, समानता और सबको एक साथ चलने की भावना का और सबके विकास को करने का तथा समान रूप से आगे बढ़ने का मानस रखते थे । आज भी उनके लेख निश्चित रूप से प्रेरित करते हैं ।

उन्होंने विचारों को सामाचारों पर और सामाचारों को विचारों पर कभी नही थोपा । उन्होंने कहा था कि विचारों की स्वतंत्रता और समाचारों की निष्पक्षता होनी चाहिए । उन्होंने कहा था कि दोनों को अलग-अलग रखना चाहिए । जिन्होंनंे भी उनके लेखो का पढ़ा होगा वह समझ सकते है कि उनकी हर विषय पर गूढ़ पकड़ थी ।

इस अवसर पर राज्यसभा सासंद एवं भारतीय सास्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष-डाॅं विनय पी.सहस्रबुðे ने डाॅं शंकर दयाल सिंह के समाज, साहित्य और राजनीति में मूल्यों और सिðान्तों के साथ किए गए योगदान की सराहना की ।

डाॅं सहस्रबुðे ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं इस समारोह का अभिन्न अंग बना हॅंू जबकि मुझे उनसे मिलने का कभी अवसर प्राप्त नही हुआ है । लेकिन उनकी किताबों और संसद मंे दिए गए भाषणों को पढ़ कर मैंने उन्हें जाना और समझा है और यह पाया कि उन्होंने कभी सिðान्तों से कोई समझौता नहीं किया । वे राजनीति में एक अलग व्यक्त्तिव के व्यक्ति थें । वे कुछ ही ऐसे सांसदों मंे थें, जिनका साहित्य के प्रति गहरा अनुराग था । उन्होंने हिन्दी भाषा को राजभाषा के रूप में प्रोत्साहित करने के लिए अपनी अग्रणी भूमिका निभाई ।

डाॅं विनय पी.सहस्रबुðे ने यह भी कहा कि डाॅ. सिंह न केवल एक राजनेता और साहित्यकार थें बल्कि वे एक ऐसे लोकनेता थे, जो केवल लोकनीति की भावना से सदैव जनसेवा के कार्य करते रहें ।

इस अवसर पर सामाजिक संस्था ‘सपना‘ को ‘डाॅं शंकर दयाल सिंह जन सेवा सम्मान‘ से सम्मानित किया गया । यह संस्था दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल और एम्स अस्पताल में उपचार हेतु दूर दूर से आये रोगियों एवं उनके सम्बन्धियों को निशुल्क सेवा सहायता एवं उपचार उपलब्ध कराने में कार्यरत है । भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी-डाॅ रश्मि सिंह ने इस अवसर पर अपने पिता, डाॅं शंकर दयाल सिंह की स्मृति मंे ‘डाॅं शंकर दयाल सिंह जन सेवा सम्मान‘ प्रतिवर्ष एक लाख रूपए नकद और प्रशस्ति-पत्र देने की घोषणा करते हुए कहा कि यह सम्मान समाज-सेवा और भाषा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने वाले व्यक्ति या संगठनों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए दिया जाएगा ।

इस समारोह मंे प्रसिð साहित्यकार-श्री कामता प्रसाद सिंह ‘काम‘ के परिवार की चैथी पीढ़ी के युवा लेखिका डाॅं रचित रम्या सिंह की पुस्तक ‘रेडिकल पोलिटिक्स एण्ड इंडियन लव‘ का विमोचन भी किया गया ।

इस समारोह मंे जनता दल-यू के महासचिव-श्री के.सी.त्यागी, शिक्षाविद्-डाॅं.श्यामा चैना, अमेटी फाउंडेशन की अध्यक्ष-सुश्री अमृता चैहान, पूर्व सांसद-श्री राजीव प्रताप रूडी, बिहार के पूर्व विधायक-श्री रामेश्वर चैरसिया, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् के अध्यक्ष-श्री धर्मेन्द्र और समाजसेवी एवं दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी, श्रीमती सीमा भी उपस्थित थें ।

डाॅं शंकर दयाल सिंह के परिवारजनों श्री रंजन कुमार सिंह और श्री राजेश कुमार सिंह ने इस अवसर पर आए सभी अतिथियों का स्वागत किया ।

डाॅं शंकर दयाल सिंह एक विशिष्ट साहित्यकार और लोकप्रिय स्तभकार थें । उन्होंने 30 से अधिक किताबों का लेखन और सम्पादन किया । ये हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के प्रबल समर्थक थें जिन्होने संसदीय राजभाषा समिति का उपाध्यक्ष होकर भारत सरकार के विभिन्न लोक-उपक्रमो में हिन्दी को प्रोत्साहित ही नही किया अपितु उनकी गृह पत्रिकाओं का भी प्रकाशन हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में करवाया । इन उल्लेखनीय सेवाओं के योगदान को याद करते हुए कई लोक उपक्रमों ने इनकी स्मृति मंे वार्षिक पुरस्कार सृजित कर रखे हैं । डाॅ. सिंह पांचवी लोकसभा के सबसे युवा सांसद थे, जो बिहार के छत्रा (अब झारखंड में) संसदीय क्षेत्र चुने गए थें ।

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