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लुटेरे मुगलों को हीरो की तर्ज पर अकबर दी ग्रेट लिखा गया और हिंदू शासको को विलन बताया गया

मूवी रिव्यू: हिज स्टोरी ऑफ इतिहास

रेटिंग: 3 एंड हॉफ

साधुवाद, इस फिल्म के मेकर , निर्देशक और फिल्म की पूरी यूनिट को जिन्होंने एक महीने से भी कम वक्त में इस फिल्म को कंप्लीट करने में दिन रात लगा दिया। अगर मैं बॉलीवुड की बात करूं तो यहां के नंबर वन बैनर और टॉप मेकर चाहे वो करण जौहर हो या आदित्य चोपड़ा या कोई और किसी में ऐसा जज्बा नहीं है कि बॉक्स ऑफ़िस का टोटली रिस्क लेकर ऐसी फिल्म बनाए जो फिल्म नहीं हिंदी सिनेमा में एक क्रांति हो, आजादी से पूर्व देश को कास्ट सिस्टम और बाबू बनाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने इतिहास को ऐसा बदला कि देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने वालो को तो आतंकवादी या लुटेरे बता दिया और लुटेरे मुगलों को हीरो बना दिया , मुगल पीरियड को हमारी स्कूल में स्टूडेंट्स को पढ़ाई जा रही किताबों में गोल्डन पीरियड और इन लुटेरे मुगलों को हीरो की तर्ज पर अकबर दी ग्रेट लिखा गया लेकिन मुगलों और अंग्रेजों से लोहा लेने वाले मराठों और साउथ के हिंदू शासकों, सिख गुरुओं तक को इतिहास की किताबों में विलेन बना कर पेश किया गया। मैं हृदय से फिल्म मेकर मनप्रीत सिंह धामी को सैल्यूट करूंगा की उन्होंने अंग्रेजी सरकार द्वारा बनाए गए इस एजुकेशन सिस्टम पर यह फिल्म बनाई जो इस वीक चुनिंदा सिनेमाघरों में रिलीज हुई है।

सच कहा जाए तो यह एक ऐसी फिल्म है जो सिर्फ इतिहास के पाठ्यक्रम को नहीं, बल्कि वामपंथी विचार धारा के इतिहासकारों द्वारा लिखी किताबों में मुगल शासकों को हीरो और हिन्दू शासकों से लेकर मुगलों से लोहा लेने वाले सिख गुरुओं को विलेन बताती है। आज जब देश में बदलाव करने ने अग्रणी मोदी सरकार लंबे अरसे से सत्ता में है तो भी वोट बैंक की राजनीति के चलते आज तक गलत इतिहास पेश करती इन स्कूली किताबों में बदलाव क्यों नहीं किया गया।

भारतीय इतिहास पर जबरन थोपे गए औपनिवेशिक और वामपंथी दृष्टिकोणों को सीधी चुनौती पेश करती इस पूरी ईमानदारी के साथ बनाई इस फिल्म को अपने बच्चों के साथ देखने जाए ताकि वो भी देखे कि स्कूल में उन्हें गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है।

इस फिल्म को देखते हुए मेरे जेहन में चाणक्य के लिखे यह वाक्य “जो राष्ट्र अपना इतिहास याद नहीं रखता, उसे स्वयं इतिहास बनते देर नहीं लगती ” आए और यह सोचने को मजबूर किया कि सरकार की क्या मजबूरी है कि इतिहास की किताबों में बदलाव क्यों नहीं किया जा रहा है

स्टोरी प्लॉट

नितिन एक फिजिक्स टीचर है , वाइफ हाउस वाइफ और इकलौती बेटी एक नामी महंगे स्कूल में पढ़ती है, कहानी में टर्न उस वक्त आता है जब नितिन यह देखता है कि उनकी बेटी को स्कूल की किताबों में जो इतिहास पढ़ाया जा रहा है वो पूरी तरह गलत है लुटेरे मुगल शासकों को हीरो बताया जा रहा है तब नितिन इस सिस्टम को बदलने की मुहिम शुरू करता है क्या नितिन की यह मुहिम सफल हो पाती है या नहीं???

इस फिल्म देखते हुए आपको पता लगता है कि भारत का इतिहास अत्यंत समृद्धि एवं वैभवशाली रहा है, उतना प्राचीन है जब ग्रीक, रोम, माया या मिस्र जैसी सभ्यताओं का अस्तित्व नही था, भारत में उपनिषद, विज्ञान, गणित, खगोल, औषधि, संगीत और नाट्य के सिद्धांत गढ़ दिए थे। ऐसे में फिल्म में एक सवाल है कि ऐसे में वह कौन सा भारत है जिसकी खोज 1498 मे वास्को डि गामा ने की थी?

क्या तत्कालीन सरकार मे बैठे नेता अब इस षडयंत्रकारी इतिहास के पुलिंदे की पोल क्यों नहीं खोलते जिसमें आवश्यकता दिखाई देती है, और अब यही कार्य मनप्रीत सिंह धामी ने अपनी फिल्म “His Story of Itihaas” में किया है।

ओवर ऑल

यह एक ऐसी फिल्म जो सिर्फ इतिहास के पाठ्यक्रम को नहीं, बल्कि वामपंथी एजुकेशन सिस्टम का पर्दाफाश करती है।

फिल्म के सभी किरदारों को फिल्म के कलाकारों ने स्क्रीन पर अपने दमदार अभिनय से जीवंत कर दिखाया है, योगेन्द्र टिक्कू के अभिनय का जवाब नहीं, अंकुल विकल किशा आरोड़ा और आकांक्षा पांडे सभी अपने किरदार में फिट है। निर्देशन स्क्रीनप्ले के अनुकूल है।

कलाकार: योगेन्द्र टिक्कू, किशा आरोड़ा,आकांक्षा पांडे, अंकुल विकल

बैनर: पंचकर्मा फिल्म्स,

निर्देशक: मनप्रीत सिंह धामी ,

सेंसर: यू ए,

अवधि, 143 मिनिट

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