सत पाल: पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव के नतीजों को दिल्ली की तीनों पार्टियां अपने अपने नजरिये से देख कर 2019 के लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा कर रही होंगी।
दिल्ली से लोकसभा की 7 सीटें हैं और हर दल सारी सीटें जीत कर अपनी धाक जमाना चाहेगा। सबसे पुरानी पार्टी को दिल्ली में कप्तान बदले जाने का इंतजार है और आला कमान इस मुद्दे पर लगातार विचार कर रहा है।
ऐसा लगता है कि यह पार्टी नया कप्तान घोषित होने पर ही हरकत में आयेगी। उधर नयी पार्टी 2019 चुनाव को लेकर कई सप्ताह से सक्रिय है लेकिन अभी उसे सबसे पुरानी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर उसकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है।
इसके बावजूद नयी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिये अपने प्रत्याशी के दफ्तर को धूम धड़ाके से खोल दिया है। अहम यह है कि इस पार्टी का दिल्ली का कप्तान दिल्ली सरकार का वजीर भी है और उनकी सक्रियता को देखते हुये कप्तान के बदले जाने की कोई संभावना नहीं लगती।
तीसरा दल यानी भगवा पार्टी शायद यही सोच रही होगी उसे 2014 जैसी कामयाबी हाथ लगेगी। यह तो वक्त ही बता पायेगा, अगर कोई जानता है वह ऊपर वाला ही है। इस पार्टी में कप्तान बदलने की चर्चा होती रहती है मगर होता कुछ नहीं।
इस भगवे दल को सदैव अपने राष्ट्रीय नेताओं से उम्मीद बनी रहती है। कुच भी हो अभी इसकी तैयारी की हलचल दिखना बाकी है। अगर 2014 के नतीजों की बात करें तो शायद सबसे पुरानी और नयी पार्टी एक रणनीति के तहत अंदरूनी सहमति बना कर लड़ने की कोशिश करें क्योंकि पिछली बार सातों सीटों पर उन्हें निराशा मिली थी।
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