नई दिल्ली:छात्र जरूरत पड़ने पर अपने स्कूल जाकर अध्यापकों से मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि स्कूल में कक्षाएं नहीं लगेंगी और स्कूल 30 सितंबर तक बंद रखे गए हैं। छात्रों की सुविधा के लिए स्कूलों में 50 फीसदी शिक्षकों और कर्मचारियों को स्कूल बुलाने की तैयारियां शुरू कर दी गई है 21 सितंबर से कंटेनमेंट जोन के अलावा अन्य सभी क्षेत्रों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्र स्वेच्छा से अपने अध्यापकों से मिलने स्कूल जा सकते हैं। वहीं अभिवावकों ने खुशी जाहिर की है कि छात्रों को अनिवार्य तौर पर स्कूल नहीं जाना होगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनलॉक-4 के तहत यह दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों के मुताबिक नौवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र स्कूल में अध्यापकों से मुलाकात करने जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए अभिभावकों की अनुमति आवश्यक होगी।
दिल्ली सरकार के मुताबिक छात्र अगर अपने किसी विषय को समझने के लिए स्कूल आते हैं तो इस दौरान शारीरिक दूरी के नियमों का पालन, मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही कोरोना के रोकथाम संबंधी अन्य सभी उपाय भी किए जाएंगे।
कई अभिभावक चाहते हैं कि इस वर्ष स्कूलों में पूरे शैक्षणिक सत्र को ही जीरो सत्र माना जाए। इस मांग को लेकर कई अभिभावकों ने सहमति जताई है। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल ने कहा, “हमने शिक्षा मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री के समक्ष मुख्य रूप से तीन विषय रखे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण विषय यह है कि जब तक कोरोना पर पूरी तरह से काबू नहीं पा लिया जाता, तब तक स्कूल नहीं खुलने चाहिए। मौजूदा शैक्षणिक वर्ष को जीरो ईयर घोषित किया जाना चाहिए। सभी बच्चों को समय पर अगली कक्षा में प्रमोट किया जाना चाहिए।”
दूसरी और दिल्ली के स्कूलों में बेहतर प्रबंधन के लिए सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्यों को आईआईएम अहमदाबाद के सहयोग से ट्रेंनिग दी गई है। अभी तक इस प्रक्रिया के तहत कुल 700 प्रिंसिपल को यह ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
— आईएएनएस
और भी हैं
राहुल, प्रियंका सहित कांग्रेस के कई नेताओं ने झांसी की घटना पर जताया दुख
आज एक उम्मीद और सोच है, यह इंडिया की सेंचुरी होगी : पीएम मोदी
दिल्ली के प्रगति मैदान में बिहार म्यूजियम का भव्य प्रदर्शन