एस.पी. चोपड़ा, नई दिल्ली: अगर उचित और नवीनतम तकनीक के साथ सकारात्मक वातावरण मिले तो बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक हो जाती है फिर वो घुटनों व हिप की जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी ही क्यों न हो, यह कहना है डॉ. प्रोफेसर अनिल अरोड़ा का जो घुटने और हिप सर्जरी क्लिनिक व ग्लोबल ओर्थो में चीफ सर्जन व वरिष्ठ निदेशक है साथ ही मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ऑफ़ जॉइंट रिप्लेसमेंट इंस्टीट्यूट पटपडगंज के यूनिट हेड और वरिष्ठ निदेशक, ग्लोबल नी और हिप फाउंडेशन के चेयरमैन है।
उन्होंने आगे बताया की हमारे देश में आम आदमी के दिमाग में गलत धारणा है की जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी ज्यादातर सफल नहीं रहती जबकि यह गलत है, आज विज्ञान इतनी तरक्की कर गया है की सर्जरी के बाद भी लोग सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते है जिसमे स्पोर्ट्स, नृत्य व व्यायाम भी शामिल है।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से लूसिया सिनिगागलेसि व उनकी टीम की उपस्थिति में, डॉ प्रोफेसर अनिल अरोड़ा और उनकी टीम ने “लार्जेस्ट गैदरिंग ऑफ़ जॉइंट रिप्लेसमेंट ” का नया विश्व रिकॉर्ड बनाया, जिसमे तकरीबन दो सौ पेशेंट्स ने भाग लिया, जिससे प्रोफेसर अरोड़ा घुटने और हिप सर्जरी क्लिनिक को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में जगह मिली। जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी को पिछली सदी की सबसे सफल शल्य चिकित्सा माना गया है।
इस सम्मेलन में उन रोगियों ने भाग लिया जो जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी से गुजरे थे, उन्होंने विभिन्न शारीरिक गतिविधियों जैसे दौड़, स्पून रेस में भाग लिया। उन्होंने कुछ लोकप्रिय गीतों की धुन पर भी नृत्य किया और अपने जीवन की कहानियो को भी बताया। लोगों के मन में भय को दूर करने के लिए यह आयोजन किया गया क्योकि इस मिथक को दूर करने के लिए लाइव उदाहरणों को दिखाने से बेहतर कोई और तरीका नहीं हो सकता था।
डॉ. अरोड़ा ने एक केस दिखाया, जहां एक महिला पुष्पा विग जो पिछले 30 वर्षों से बिस्तर पर थी वह घुटने की पिनलेस कंप्यूटर नेविगेशन प्रौद्योगिकी रिप्लेसमेंट सर्जरी के 48 घंटे बाद चलने लगी, जिसके लिए डॉ. अरोड़ा का लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में 2017 में रिकॉर्ड किया गया था।
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