नई दिल्ली| भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ लंबी दौड़ के लिए तैयार है। मगर साथ ही चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और भारतीय सेना के बीच नौ महीने से चले आ रहे गतिरोध को लेकर भी एक सौहार्दपूर्ण समाधान की उम्मीद है। सैन्य प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने मंगलवार को यह बात कही। जनरल नरवने ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि पिछले साल सेना को चुनौतियों का सामना करने के लिए बातचीत में शामिल होना पड़ा और बल ने ऐसा सफलतापूर्वक किया।
उन्होंने कहा, “पहली और सबसे बड़ी चुनौती कोविड है और अगली उत्तरी सीमा पर स्थिति है।”
लद्दाख की स्थिति के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि भारतीय सेना न केवल पूर्वी लद्दाख में बल्कि चीन के साथ उत्तरी सीमा के पार भी हाई अलर्ट पर है।
जनरल नरवने ने कहा, “हम आंतरिक और बाहरी दोनों मोचरें पर विभिन्न खतरों से निपटने के लिए अपनी संचालन योजना और रणनीति की समय-समय पर समीक्षा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि हम चीन के साथ आठ दौरे की बातचीत कर चुके हैं और इन आठ दौर की वार्ता में दोनों ओर से कमांडर स्तर के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। जनरल नरवने ने इस मामले का सकारात्मक तरीके से हल निकाले जाने की उम्मीद भी जताई।
परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए परामर्श और समन्वय के लिए एक संस्थागत तंत्र है, जिसके माध्यम से बातचीत के दौर जारी हैं।
उन्होंने कहा, “वार्ता एक सतत प्रक्रिया है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इन वार्ताओं के माध्यम से हम एक ऐसे समाधान तक पहुंचें, जो हमारे हित के लिए स्वीकार्य और गैर-हानिकारक हो।”
सैन्य प्रमुख ने कहा, “हम सर्दियों में तैनाती की स्थिति में चले गए हैं। हम (भारत और चीन) सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंच जाएंगे। हालांकि, हम किसी भी घटना से निपटने के लिए तैयार हैं।”
जनरल नरवने ने कहा कि पिछले साल सेना को चुनौतियों का सामना करने के लिए बातचीत करनी पड़ी और बल ने ऐसा सफलतापूर्वक किया।
उन्होंने कहा, “पहली सबसे बड़ी चुनौती कोविड है और अगली उत्तरी सीमा पर स्थिति है।”
उन्होंने यह भी कहा कि लॉजिस्टिक मुद्दों पर चिंता का कोई कारण नहीं है और बल की परिचालन तैयारियां उच्च स्तर पर हैं। जनरल नरवने ने कहा, ‘सैनिकों का मनोबल ऊंचा है।’
उन्होंने कहा, “वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति पिछले साल की तरह ही है। यथास्थिति बनी हुई है। हमें सरकार से निर्देश मिले हैं कि हम उसी स्थिति में रहें, जहां हम गतिरोध बिंदु पर तैनात हैं।”
सेना प्रमुख ने कहा, “पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले क्षेत्र में तैनाती में कोई बदलाव नहीं हुआ है।”
सेना प्रमुख ने कहा, “तनाव वाले क्षेत्रों में सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं की गई है।”
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान और चीन की मिलीभगत का खतरा भी कायम है और हम मिलकर इससे निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं।
भारतीय और चीनी सेनाएं पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास कई स्थानों पर पिछले नौ महीने से आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच गतिरोध कई स्तरों के संवाद के बावजूद खत्म नहीं हो सका है।
–आईएएनएस
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