पाॅपुलर फ्रंट आफ इंडिया के चेयरमैन ई. अबूबकर ने कश्मीरी छात्रों और व्यापारियों पर बढ़ते हमलों की देश के विभिन्न हिस्सों से आ रही ख़बरों को देखते हुए, केंद्र व राज्य सरकारों से उनकी जान और माल को सुरक्षा प्रदान करने की अपील की है।
उन्होंने हिंसा में लिप्त ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख़्त कार्यवाई की मांग की है। एक आत्मघाती हमलावर की हरकत का ज़िम्मेदार कश्मीर की जनता और देश के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा पाने वाले या काम करने वाले कश्मीरियों को ठहराना एक विभाजनकारी अमल और पागलपन है।
कश्मीर के संकट का स्थायी हल कश्मीर की जनता को भरोसे में लेकर ही निकाला जा सकता है। ‘बिना कश्मीरियों के कश्मीर’ के सरकारी रवैये को हर हाल में छोड़ना होगा। कश्मीर में बम धमाकों और गोलीबारियों का खात्मा और शांति की बहाली सिर्फ आपसी बात चीत से ही संभव है। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि इंद्रा गांधी हत्या के बाद भड़के सिख-विरोधी दंगों में लगे ज़ख़्म आज तक भरे नहीं हैं।
भारत के दूसरे किसी भी क्षेत्र की तरह कश्मीर का मतलब भी सिर्फ एक ज़मीन नहीं, बल्कि एक ऐसी सरज़मीन है जिसमें वहां के बाशिंदे भी शामिल हैं। कश्मीरी जनता के बिना कश्मीर की सरज़मीन एक जंगल बनकर रह जाएगी, जो फर्जी़ राष्ट्रवादी और कट्टरपंथी साम्प्रदायिक ताक़तों का सपना है।
लेकिन यह हमारे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। इसीलिए जहां कहीं भी कश्मीरी भाईयों और बहनों को खतरा हो, वहां के स्थानीय लोगों का यह कर्तव्य है कि वे अपने भाईयों और बहनों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें। ई. अबूबकर ने ख़बरदार करते हुए कहा कि दाएं बाज़ू के साम्प्रदायिक समूहों द्वारा कश्मीर के नाम पर हो रही नफरत की राजनीति हमारे देश की अखंडता और सुरक्षा को तबाह करके रख देगी।
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