नई दिल्ली| किसान आंदोलन मंगलवार को 20वें दिन जारी है। केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठनों के नेता आज (मंगलवार) 12 बजे सिंघु बॉर्डर पर होने वाले मीटिंग में आंदोलन के आगे की रूपरेरखा व रणनीति तय करेंगे। यह जानकारी भारतीय किसान यूनियन, पंजाब के एक नेता ने दी। पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने आईएएनएस को बताया कि मंगलवार को 12 बजे सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों के नेताओं की बैठक होगी जिसमें आगे की रणनीति तय होगी। हालांकि सरकार से बातचीत होने की संभावना को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अब तक सभी संगठनों की यही मांग है कि सरकार तीनों नये कानूनों को वापस लेने पर पर विचार करे तो बातचीत होगी। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जो प्रस्ताव पहले दिया गया था उसी पर सरकार कायम है, जबकि किसान संगठनों ने उसे नकार दिया था, इसलिए इस पर बातचीत होने का सवाल ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अगर कोई नया प्रस्ताव मिलेगा जो आंदोलन में शामिल सभी किसान संगठनों के नेता उस पर विचार कर सकते हैं।
उधर, सरकार की ओर से लगातार किसान नेताओं से किसानों से जुड़े मुद्दों पर फिर से बातचीत करने और समस्याओं का हल तलाशने की अपील की जा रही है। लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार तीनों नये कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं होगी तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
इस बीच जो किसान संगठन आंदोलन में शामिल नहीं हैं उनके नेता नये कानूनों को किसानों के लिए लाभकारी बताते हुए इन्हें वापस नहीं लेने की मांग कर रहे हैं। हालांकि नये कानून में सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन का वे भी समर्थन करते हैं।
केंद्र सरकार द्वारा लागू जिन तीन नये कानूनों को किसान संगठनों के नेता निरस्त करवाने की मांग कर रहे हैं उनमें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 शामिल हैं।
हालांकि किसानों की मांगों की फेहरिस्त लंबी है। किसान संगठनों के नेता न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सारी अधिसूचित फसलों की खरीद की गारंटी के लिए नया कानून बनाने की मांग भी कर रहे हैं जबकि सरकार ने एमएसपी पर फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने के लिए लिखित तौर पर आश्वासन देने की बात कही है।
इसके अलावा, उनकी मांगों में पराली दहन से जुड़े अध्यादेश में कठोर दंड और जुमार्ने के प्रावधानों को समाप्त करने और बिजली (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग भी शामिल है।
–आईएएनएस
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