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New Delhi: Haryana Chief Minister Manohar Lal Khattar addresses during a CII programme in New Delhi on Jan 15, 2016. (Photo: IANS)

खट्टर सरकार ने सच को ढकने के लिए हर दांव आजमाया

 

जयदीप सरीन, चंडीगढ़| डेरा सच्चा सौदा के तांडव के 100 घंटे पूरे हो चुके, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा की भाजपा सरकार अभी भी झूठ, आधा सच, और गोपनीयता का सहारा लेकर 36 लोगों की मौत और 250 लोगों के घायल होने के दाग से खुद को बचाने का प्रयास कर रही है।

खट्टर सरकार आलोचना के कठघरे में तब खड़ी हुई, जब अराजक भीड़ से लोगों को बचाने में नाकाम रहते हुए प्रशासन ने उन्हें उपद्रवियों के भरोसे छोड़ दिया। चाहे वह फरवरी का जाट आंदोलन हो या बीते शुक्रवार को डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों द्वारा की गई हिंसा, दोनों ही मामलों में राज्य सरकार ने स्थिति को तीन घंटे में संभालने की बात कह अपनी पीठ खुद थपथपाई। साथ ही दावा यह किया कि स्थिति इससे भी बुरी हो सकती थी।

खट्टर सरकार जो स्वीकार करना नहीं चाहती, वह है तीन घंटे में 36 लोगों की जिंदगी निगलने की उपलब्धि!

हालांकि खट्टर ने घटना के घंटों पहले और बाद तक मौन रहने का विकल्प चुना, लेकिन उनके अधिकारियों ने जिसमें डीजीपी बी.एस. संधू, मुख्य सचिव डी.एस. ढेसी, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राम निवास, महाधिवक्ता बी.आर. महाजन एवं अन्य शामिल हैं, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट, मीडिया और लोगों को झूठ का सहारा लेकर दिग्भ्रमित करते रहे।

हिंसा के अगले चंद घंटे बाद पंचकूला जनरल हॉस्पिटल का दौरा करने गए खट्टर को यह भी पता नहीं था कि हिंसा में कितने लोगों की मौत हुई। टीवी कैमरा के सामने उन्होंने आईजी साहब से कह दिया, 15 लोगों की मौत हुई है। मीडियाकर्मी ने जब कहा कि संख्या तो 22 है, तब खट्टर ने कहा, “आप कह रहे हैं तो 22 मान लेते हैं।”

यहां तक कि डेरा के समर्थकों को संभालने में नाकामी पर हाईकोर्ट द्वारा सरकार पर कटाक्ष किए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री पर उसका कोई खास असर नहीं दिखा।

डीजीपी संधू इस पूरे प्रकरण में अपनी नाकामी, सरकार की इच्छाशक्ति को ढकने में व्यस्त रहे।

उन्होंने जोरदार तरीके से इस बात को नकारा कि सीबीआई कोर्ट द्वारा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख के खिलाफ फैसला सुनाए जाने के बाद भड़की हिंसा के दौरान हरियाणा पुलिस के जवान भाग खड़े हुए थे।

वीडियो और तस्वीरों वाले साक्ष्य व रिपोर्टरों की व्यक्तिगत उपस्थिति डीजीपी के उस दावे को नकार रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि हरियाणा पुलिस के जवान डेरा समर्थकों का डटकर मुकाबला कर रहे थे।

जब डीजीपी से पूछा गया कि गुरमीत राम रहीम की तथाकथित बेटी हनीप्रीत को दोषी के साथ हरियाणा सरकार द्वारा मंगाए गए हेलीकॉप्टर में कैसे बैठने दिया गया, डीजीपी अनजान बनते रहे।

बाद में उन्होंने कहा कि इसकी जांच कराएंगे। विवादास्पद धर्मगुरु राम रहीम की सबसे करीबी सहयोगी हनीप्रीत कई सूटकेस और बैग के साथ रोहतक जेल तक बाबा का साथ देती रही।

डीजीपी ने अदालत के अंदर की उस घटना से भी इनकार किया, जिसमें फैसला सुनाए जाने के बाद राम रहीम के सुरक्षा गार्ड ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को थप्पड़ मार दिया।

मुख्य सचिव ढेसी भी राज्य सरकार की उस कार्रवाई को ढकने का प्रयास करते रहे, जो डेरा समर्थकों और उनके गुरु के प्रति नरम रुख की ओर इशारा करती है। उन्होंने डेरा प्रमुख को वीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने, एयर कंडीशनर, वॉटर प्यूरिफायर दिए जाने की बात को भी नकारा।

दोनों अधिकारी उस वक्त रक्षात्मक मुद्रा में आ गए, जब उनसे पूछा गया कि डेरा प्रमुख 200 कारों के काफिले, जिसमें लेक्सस और मर्सिडीज जैसी लक्जरी गाड़ियां शामिल थीं के साथ अदालत कैसे आया।

मीडिया ने जब खामियों को उजागर किया और दुष्कर्मी राम रहीम को वीआईपी ट्रीटमेंट देने की बीत उजागर की, उसके बाद हरियाणा सरकार ने उप महाधिवक्ता गुरदास सिंह सलवारा और पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अशोक कुमार को पद से हटा दिया। सलवारा अदालत से निकलते समय दोषी करार दिए गए अपने रिश्तेदार का बैग उठाते कैमरे में कैद हुए थे। वहीं हालात बेकाबू होने का ठीकरा डीसीपी पर फोड़ा गया।

डीसीपी के निलंबन पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुरिंदर सिंह सरोन, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार और उसके महाधिवक्ता बी.आर. महाजन द्वारा विभिन्न अवसरों पर अदालत को भ्रमित किए जाने की बात कही।

खंडपीठ ने परखा कि राजनीतिक निर्णय के कारण प्रशासनिक निर्णय किस तरह लकवाग्रस्त हो गए।

हाईकोर्ट ने किसी भी ऐसे शब्द का प्रयोग नहीं किया जो खट्टर सरकार की ‘वोट बैंक पोलिटिक्स’ की तरफ इशारा करता हो। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लाखों वोटों के मालिक डेरा प्रमुख से समर्थन मांगा था, जो बाबा ने दिल खोलकर दिया था। यानी केंद्र व हरियाणा सरकार उनके एहसान तले दबी है।

खंडपीठ ने हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा से सरकारी फंड से 51 लाख रुपये डेरा को दिए जाने के बारे में भी पूछा। मंत्री शर्मा हाल ही में राम रहीम के पैर छूते नजर आए थे।

–आईएएनएस

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