उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली, यमुना के किनारे बसा सबसे पुराना शहर है। 18 नालों के जरिए रोजाना 760 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रति दिन) सीवरेज पानी यमुना में छोड़ा जाता है, जिसमें से 610 एमजीडी पानी केवल दिल्ली से छोड़ा जाता है। दूर से देखने पर यमुना वास्तव में एक गंदे नाले की तरह दिखती है और इसके पानी में दुगर्ंध भी होती है।
उन्होंने सवाल उठाया, “यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि 6 सालों में करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी यमुना को पुनर्जीवित नहीं कर पाई है। ऐसे में सवाल यह है कि लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा कहां गया?”
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सराकर ने 46 बड़े सीवेज और नालों पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर नैनी, झुसी और प्रयागराज से आने वाले गंदे पानी को संगम में साफ किया है। इन नालों से हर दिन 270 मिलियन लीटर गंदा पानी नदी में गिरता है।
इस काम के लिए सरकार ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थान (एनईईआरआई) से कोलेबरेट किया था।
–आईएएनएस
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