नई दिल्ली | भारतीय सेना के कमांडरों का सम्मेलन बुधवार को नई दिल्ली में शुरू हो गया है, जहां सिक्किम, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा के संबंध में गहन चर्चा की जाएगी। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ तनाव से पहले इस सम्मेलन की योजना बनाई गई थी। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं। भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बल के शीर्ष कमांडर बैठक में भाग ले रहे हैं। इस बैठक में लद्दाख में चीन के कारण उपजे हालात सहित सभी सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा होगी।
आर्मी कमांडर्स कांफ्रेंस महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों के लिए होता है, जिसमें शीर्ष स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं। यह अप्रैल 2020 के लिए निर्धारित था, मगर कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित हो गया था। इसे अब दो चरणों में आयोजित किया जाएगा।
सम्मेलन का पहला चरण बुधवार को शुरू हुआ और 29 मई, 2020 तक जारी रहेगा। इसके बाद दूसरा चरण जून 2020 के अंतिम सप्ताह में शुरू होगा।
भारतीय सेना का शीर्ष स्तर का नेतृत्व मौजूदा उभरती सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों पर विचार-मंथन करेगा और भारतीय सेना के लिए भविष्य के पाठ्यक्रम को निर्धारित किया जाएगा।
इसमें सेना कमांडरों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित कॉलेजिएट प्रणाली के माध्यम से निर्णय लिया जाता है।
साउथ ब्लॉक में शुरू पहले चरण के सम्मेलन दौरान, परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न पहलुओं जिसमें रसद और मानव संसाधन से संबंधित अध्ययन शामिल हैं, पर चर्चा की जाएगी। इसमें चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ उभरती स्थिति भी शामिल है।
इससे पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में मौजूदा जमीनी हालात और हाल के दिनों में चीनी व भारतीय सेनाओं के आमने-सामने आ जाने की स्थिति पर चर्चा की। सिंह ने जमीनी स्थिति को समझने और बलों के अगले कदम के बारे में चर्चा करने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से भी बातचीत की।
सिंह को चीनी सैनिकों के संख्याबल के हिसाब से भारतीय प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी दी गई। बैठक के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि भारतीय सेना भी पूरी तरह मुस्तैद रहेगी और मौजूदा स्थिति के समाधान के लिए बातचीत भी जारी रहेगी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सड़क निर्माण जारी रहना चाहिए और भारतीय किलेबंदी और सेना की तैनाती चीनी सेना से मेल खानी चाहिए।
पिछले कुछ हफ्तों से भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने आने के समाधान के लिए कई बैठकें कीं, हालांकि अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
सूत्रों का कहना है कि इसे लेकर पिछली बैठक रविवार को हुई थी, लेकिन कई बातें अनसुलझी रहीं। हालांकि मुद्दों को सुलझाने के लिए और भी कमांडर स्तर की वार्ता होनी है।
सूत्रों ने कहा कि जमीनी स्तर पर सैन्य कमांडरों के बीच पांच दौर की बातचीत हुई है, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली है।
–आईएएनएस
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