बीजिंग| अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 मई को जून में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन को सितंबर तक स्थगित करने की घोषणा की। उन्होंने आशा जताई कि रूस, ऑस्ट्रेलिया, भारत और दक्षिण कोरिया शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि हमने शिखर सम्मेलन को स्थगित किया, क्योंकि मुझे लगता है कि जी-7 वर्तमान रूझान का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता और यह एक पिछड़ा संगठन है।
व्हाइट हाउस की रणनीतिक निदेशक एलिसा फराह ने साफ तौर पर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि मित्र देशों को इकट्ठा करके एक अन्य बड़े देश के मामले पर विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने ट्रंप का सही इरादा बताया, यानी रणनीतिक प्रतियोगी को रोकने के लिए ज्यादा देशों को जमा करना चाहिए। उधर, नवंबर में होने वाले आम चुनाव से पहले इस तरह के उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलन के आयोजन से ट्रंप की लोकप्रियता भी बढ़ेगी।
वास्तव में जी-7 शिखर सम्मेलन को स्थगित करने का मूल कारण है कि जर्मनी जैसे सदस्य देशों ने अमेरिका के आह्वान को स्वीकार नहीं किया, इसलिए सम्मेलन आयोजित नहीं हो सकेगा। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने हाल में ट्रंप के निमंत्रण को स्वीकार नहीं किया और कहा कि वे अमेरिका नहीं जाएंगी। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी कहा कि महामारी की स्थिति में सम्मेलन का आयोजन सुरक्षित नहीं है।
ध्यानाकर्षक बात यह है कि ट्रंप जी-7 को जी-11 बनाना चाहते हैं। हम जानते हैं कि जी-7 की स्थापना गत सदी के 70 के दशक में हुई। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान इसके सदस्य देश हैं। ट्रंप चाहते हैं कि रूस, ऑस्ट्रेलिया, भारत और दक्षिण कोरिया भी इसमें शामिल होंगे। ये चार देश पश्चिमी देशों के विचार में सब लोकतांत्रिक देश हैं। यह सच है कि जी-7 का विस्तार करना चाहिए।
चीनी रनमिन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर त्याओ तामिंग ने कहा कि ट्रंप ने अमेरिका की चिंता के अनुसार उक्त चार देशों को निमंत्रण भेजा। हम रूस की बात करें, वह जर्मनी और फ्रांस जैसे अमेरिका के यूरोपीय मित्र देशों पर नियंत्रण रखकर संतुलन स्थापित कर सकता है। मध्य-पूर्व क्षेत्र में रूस महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है। ऑस्ट्रेलिया और भारत अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति से संबंधित हैं। दक्षिण कोरिया एशिया में जापान के बाद अमेरिका का अन्य मित्र देश है।
व्हाइट हाउस की रणनीतिक निदेशक ने अमेरिका का सही इरादा बताया है, यानी शिखर सम्मेलन से रणनीतिक प्रतियोगी को रोका जाएगा। वास्तव में बहुत से देश चीन और अमेरिका के बीच विरोध में शामिल नहीं होना चाहते। रूस के अंतर्राष्ट्रीय मामला आयोग के अध्यक्ष कोंस्टेंटिन कोसाचेव ने 31 मई को कहा कि जी-7 गंभीर संकट में पड़ गया है, इसलिए रूस को निमंत्रण दिया गया। जी-7 के वर्तमान सदस्य देशों के अलावा, कोई देश शिखर सम्मेलन के प्रति रुचि नहीं रखते। अगर नए सदस्य अपना रुख और विचार प्रकट कर सकते हैं, तो रूस इसपर विचार करेगा। लेकिन अगर अमेरिका सिर्फ अस्थाई रूप से नए सदस्यों की भागीदारी चाहता है, तो उसका लक्ष्य शंकाजनक है, इसमें रूस की रुचि नहीं है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
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