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Chennai: People in large numbers stage a demonstration in favour of Jallikattu in Chennai on Jan 22, 2017. (Photo: Parthibhan/IANS)

तमिलनाडु में नए कानून के साथ वैध हुआ जल्लीकट्टू

 

चेन्नई। तमिलनाडु विधानसभा ने सोमवार को प्रदेश के लोकप्रिय पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू को वैधता प्रदान करने वाले विधेयक को पारित कर दिया। यह विधेयक अध्यादेश की जगह लेगा। यह कानून उस अध्यादेश की जगह लेगा, जिसे पशु क्रूरता निवारक अधिनियम में संशोधन के लिए लाया गया था।

 

कोई अध्यादेश छह महीनों के लिए ही वैध होता है, जिसके बाद अगर इससे संबंधित कानून पारित न हो, तो इसकी वैधता स्वत: समाप्त हो जाती है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ओ.पन्नीरसेल्वम ने विधेयक को विधानसभा में पेश किया, जिसके बाद इसे तत्काल पारित कर दिया गया। यह कानून जल्लीकट्टू को कानूनी चुनौतियों से संरक्षण प्रदान करता है।

 

इससे पहले, दिन में राज्यपाल सी.एच.विद्यासागर राव ने विधानसभा से कहा कि जल्लीकट्टू के आयोजन को लेकर जारी अध्यादेश की जगह लेने वाले कानून को सदन में तुरंत पेश किया जाए। विधेयक के पारित होने का जल्लीकट्टू समर्थकों ने स्वागत किया है।

 

जल्लीकट्टू पेरावई के अध्यक्ष पी.राजाशेखर ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस कानून का स्वागत करते हैं। एक तरफ विधेयक को जब चर्चा के लिए सदन में पेश जा रहा था, तो दूसरी तरफ पूर्व न्यायाधीश हरि पारंधमान मरीना समुद्र तट पर जल्लीकट्टू को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों को इस कानून के पहलुओं से विस्तार से वाकिफ करा रहे थे।

 

उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया कि यह कानून जल्लीकट्टू के संरक्षण की दिशा में स्थायी समाधान है। यह कानून न सिर्फ खेल को सुनिश्चित करता है, बल्कि सांडों की सुरक्षा तथा किस तरह से खेल होना चाहिए, इसके उपाय भी सुझाता है।

 

इस बीच, प्रदर्शनकारियों ने इस मुद्दे के स्थायी समाधान की मांग की है। उन्होंने केंद्र सरकार से पशु क्रूरता निवारक अधिनियम से परफॉर्मिग एनिमल्स की सूची से सांड को बाहर निकालने की मांग की। इस खेल पर सर्वोच्च न्यायालय ने मई 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था।

(आईएएनएस)

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