नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार को शराब बेचने के तरीकों को लेकर अनुमति दे दी और कहा कि वह खुद तय कर सकती है कि शराब ऑनलाइन बेचनी है या फिर दुकानों पर। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अदालत का काम नहीं है कि वो बताए कि शराब को कैसे बेचा जा सकता है।
न्यायाधीश अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एम. आर. शाह की पीठ ने कहा कि शराब की बिक्री का माध्यम राज्य सरकार को तय करना है और यह अदालत का काम नहीं है कि वह बताएगी कि यह कैसे बेची जाए।
शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया था कि उसे केवल ऑनलाइन और होम डिलीवरी के माध्यम से शराब बेचने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की कि राज्य सरकार द्वारा शराब की बिक्री पर विनियम या रेगुलेशन स्थापित किए जाने हैं। टीएएसएमएसी ने खुदरा दुकानों में शराब की बिक्री के लिए निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के बारे में तीन सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दायर करने पर सहमति व्यक्त की।
शीर्ष अदालत ने मई में राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान राज्य के स्वामित्व वाली शराब की दुकानों को बंद करने के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। उस समय दलील दी गई थी कि लोग शराब खरीदते समय सामाजिक दूरी के मानदंडों का उल्लंघन कर रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने टीएएसएमएसी की अपील पर विचार करने के बाद आठ मई को पारित मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि हम केवल यह कह सकते हैं कि यह सरकार को तय करना है कि ऑनलाइन वितरण किया जाना है या नहीं।
–आईएएनएस
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