दिल्ली-NCR में बार-बार भूकंप बड़े खतरे की चेतावनी, धरती में हो रहे ये बदलावदेश की राजधानी और उसके आसपास के इलाके में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है. ऐसी आशंका देश के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने जताई है. इसके पीछे कारण ये है कि दिल्ली-एनसीआर (Delhi – NCR) में पिछले एक महीने से लगातार छोटे-छोटे भूकंप के कई झटके आ चुके हैं. भूकंप की निगरानी करने वाली देश की सर्वोच्च संस्था द नेशनल सेंटर ऑफ सीसमोलॉजी (The National Center of Seismology) ने बताया है कि 12 अप्रैल से 29 मई तक दिल्ली-NCR में 10 भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.हाल ही में नोएडा में रात को 3.2 तीव्रता का झटका महसूस किया गया था. पिछले पांच दिनों में तीन बार झटके महसूस किए गए हैं.
आखिर ये दिल्ली-एनसीआर की जमीन के नीचे हो क्या रहा है. क्या कहीं और आ रहे भूकंप की वजह से दिल्ली-एनसीआर कांप रहे हैं. अब लोग डर की वजह से सोशल मीडिया पर इमरजेंसी किट/बैग रखने की सलाह दे रहे हैं. भूकंप से बचने के तरीके सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.अगर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 8.5 तीव्रता का भूकंप आता है भयावह तबाही का मंजर देखने को मिलेगा. दिल्ली-एनसीआर के नीचे 100 से ज्यादा लंबी और गहरी फॉल्ट्स हैं. इसमें से कुछ दिल्ली-हरिद्वार रिज, दिल्ली-सरगोधा रिज और ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट पर हैं. इनके साथ ही कई सक्रिय फॉल्ट्स भी इनसे जुड़ी हैं.ये सारे फॉल्ट्स हिमालय के टेक्टोनिक प्लेट से सटे हुए हैं, ऐसे में हिमालय के टेक्टोनिक प्लेट में होने वाले बदलावों की वजह से दिल्ली के आसपास के फॉल्ट्स हिलते हैं या कांपते हैं जिनकी वजह से दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस होते हैं.
हिमालयन टेक्टोनिक प्लेट के नीचे हो रही गतिविधियों से धरती के अंदर दबाव बनता है. ये दबाव जब रिलीज होता है तब भूकंप आता है. ये हल्के भी हो सकते हैं या फिर खतरनाक. ऐसे ही दबाव के रिलीज होने का नतीजा था 29 मई को रोहतक में आया 4.6 तीव्रता का भूकंप.दिल्ली और आसपास के इलाकों में ऐसे भूकंप पहले भी आ चुके हैं. 1960 में दिल्ली 4.8 तीव्रता का भूकंप आया था. दिल्ली की 75 फीसदी इमारतें हिल गई थीं. उत्तरी कैंट से लेकर गुरुग्राम तक जमीन में दरारें आ गईं थीं. लाल किला और राष्ट्रपति भवन को भी नुकसान हुआ था. 100 से ज्यादा लोग अफरा-तफरी में घायल हो गए थेराजेंद्रन ने बताया कि इंडियन प्लेट लगातार उत्तर की ओर खिसक रही है. इसकी वजह से हिमालय में दबाव बन रहा है. जिस दिन ये दबाव रिलीज होगा, एक भयानक भूकंप या भूकंपों की श्रृंखला आ सकती है. लेकिन ये कब होगा ये बता पाना बेहद मुश्किल हैहिमालय की तरफ से भूकंप आएगा तो दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र पर ज्यादा असर पड़ेगा.
दिल्ली सीसमिक जोन 4 में हैं. यानी ज्यादा खतरनाक और संवेदनशील इलाके में है. भूकंप आएगा तो दिल्ली एनसीआर में भयावह तबाही का मंजर देखने को मिलेगा.दरअसल, भूकंप को मापने के लिए भारत को जोन 2, जोन 3, जोन 4 और जोन 5 में बांटा गया है. राजधानी दिल्ली और उसके आसपास का इलाका जोन 4 में आता है. ये वो जोन है, जहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि भूकंप के लिहाज से दिल्ली काफी संवेदनशील इलाका है
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