नई दिल्ली | दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में गुरुवार को कृषि कानूनों के खिलाफ एक संकल्प पत्र पास किया गया। दिल्ली विधानसभा ने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को खारिज कर दिया और केंद्र सरकार से इन्हें वापस लेने की अपील है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “अंग्रेजों के समय में भी तीन कानूनों के खिलाफ शहीद भगत सिंह के पिता के नेतृत्व में पंजाब में ऐसा ही आंदोलन हुआ था और अंग्रेजों को कानून वापस लेने पड़े थे।”
उन्होंने कहा कि, “यूपी और बिहार में धान 900 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल में बिक रहा है, जो एमएसपी से काफी कम है। यदि ये कानून किसानों के हित में है, तो भाजपा बताए कि किसान कहां जाकर धान बेचें, ताकि उन्हें एमएसपी से अधिक कीमत मिले। आजाद भारत के 70 साल के इतिहास में पहली बार हुआ है कि राज्यसभा में बिना वोटिंग के तीनों कानूनों को पास कर दिया।”
विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, “संत राम सिंह के मन में समाज, देश के किसानों के लिए इतनी पीड़ा थी कि इतनी बड़ा बलिदान कर दिया जो पत्र लिखकर वे शहीद हुए, उस पत्र में उनका दर्द था कि मुझसे किसानों का दर्द देखा नहीं जा रहा। सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए रोज जैकेट, कंबल लेकर आया करते थे। जब किसानों की वो पीड़ा उनके लिए असहाय हो गई, तो उन्होंने शहादत दे दी।”
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकील ने कहा कि किसानों की मांगें जायज है। किसानों की मांगे मानी जानी चाहिए। केस इसको लेकर था कि दिल्ली की सीमा के ऊपर किसान बैठे हैं, इसलिए ट्रैफिक की दिक्कत हो रही है। हमारे वकील ने खड़े होकर कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। केंद्र सरकार अगर 1 घंटे में उनकी मांग मान ले, तो धरना उठ जाएगा।”
दिल्ली विधानसभा में भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने दिल्ली सरकार के इस रुख का विरोध किया। उन्होंने कहा, “दिल्ली सरकार को पंजाब और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव दिखाई पड़ रहे हैं। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार बेवजह कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।”
–आईएएनएस
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