नई दिल्ली| देश ने बुधवार को 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। इस मौके पर राज्यों की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के साथ-साथ बख्तरबंद कर्मियों के वाहक, आर्टिलरी गन और नए युग के युद्धक टैंक प्रदर्शित किए गए। राष्ट्रीय राजधानी के बीचोबीच राजसी राजपथ की भव्यता देखने लायक थी। समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि के साथ हुई। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद अपने अंगरक्षकों के साथ पहुंचे। राष्ट्रपति का अंगरक्षक दल, भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है।
जैसे ही गणमान्य व्यक्ति अपने निर्धारित स्थान पर बैठे, 871 फील्ड रेजिमेंट ने औपचारिक तौर पर उन्हें 21 तोपों की सलामी दी। 21 तोपों की सलामी आमतौर पर गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और विदेशी राष्ट्राध्यक्षों की यात्राओं के दौरान दी जाती है।
तत्कालीन ग्वालियर लांसर्स 61 कैवेलरी की वर्दी में पहली टुकड़ी का नेतृत्व मेजर मृत्युंजय सिंह चौहान ने किया था। 61 कैवेलरी दुनिया में एकमात्र सक्रिय सेवारत हॉर्स कैवेलरी रेजिमेंट है। इसे 1 अगस्त, 1953 को छह राज्य बलों की घुड़सवार सेना इकाइयों के साथ स्थापित किया गया था।
भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व 61 कैवेलरी, 14 मैकेनाइज्ड कॉलम, छह मार्चिग टुकड़ियों के एक घुड़सवार स्तंभ और आर्मी एविएशन के एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर्स (एएलएच) ने किया। एक टैंक पीटी-76 और सेंचुरियन (ऑन टैंक ट्रांसपोर्टर) और दो एमबीटी अर्जुन एमके-क, एक एपीसी टोपास और बीएमपी-1 (ऑन टैंक ट्रांसपोर्टर) और दो बीएमपी-2, एक 75/24 टोड गन (वाहन पर) और दो धनुष गन सिस्टम, एक पीएमएस ब्रिज और दो सर्वत्र ब्रिज सिस्टम, एक एचटी-16 (ऑन व्हीकल) और दो तरंग शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, एक टाइगर कैट मिसाइल और दो आकाश मिसाइल सिस्टम मैकेनाइज्ड कॉलम में मुख्य आकर्षण थे।
राजपूत रेजिमेंट, असम रेजिमेंट, जम्मू-कश्मीर लाइट रेजिमेंट, सिख लाइट रेजिमेंट, आर्मी ऑर्डनेंस कॉर्प्स और पैराशूट रेजिमेंट सहित सेना की कुल छह मार्चिग टुकड़ियां वहां मौजूद थीं।
मद्रास रेजिमेंटल सेंटर का संयुक्त बैंड, कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर, मराठा लाइट रेजिमेंटल सेंटर, जम्मू और कश्मीर लाइट रेजिमेंटल सेंटर, आर्मी मेडिकल कोर सेंटर और स्कूल, 14 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर, आर्मी सप्लाई कोर सेंटर और कॉलेज, बिहार रेजिमेंटल सेंटर और सेना आयुध वाहिनी केंद्र ने सलामी मंच के आगे मार्च किया।
पिछले 75 वर्षो में भारतीय सेना की वर्दी और कर्मियों के हथियारों का विकास मार्चिग दल का विषय था। 1947 की भारतीय सेना की वर्दी पहने राजपूत रेजीमेंट की टुकड़ी के जवान .303 राइफल से लैस थे।
असम रेजिमेंट ने 1962 की अवधि की वर्दी में परेड की और उन्होंने .303 राइफलें भी चलाईं।
जम्मू और कश्मीर लाइट रेजिमेंट को 1971 के दौरान पहनी गई वर्दी में देखा गया था। उन्होंने इस बार 7.62 मिमी की सेल्फ लोडिंग राइफल ले रखी थी।
सिख लाइट रेजिमेंट और सेना आयुध कोर की टुकड़ी 5.56 मिमी इंसास राइफल के साथ वर्दी में थी।
पैराशूट रेजिमेंट की टुकड़ी में शामिल जवान 15 जनवरी को अनावरण की गई भारतीय सेना की नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म धारण किए हुए, 5.56 मिमी एक्स 45 मिमी टावोर राइफल से लैस थे।
स्क्वाड्रन लीडर प्रशांत स्वामीनाथन के नेतृत्व में भारतीय वायुसेना के दल में 96 वायुसैनिक और चार अधिकारी शामिल थे।
वायुसेना की झांकी का शीर्षक इंडियन एयर फोर्स, ‘ट्रांसफॉर्मिग फॉर द फ्यूचर’ था। झांकी में मिग-21, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर और राफेल विमान के स्केल डाउन मॉडल के साथ-साथ अश्लेषा रडार भी प्रदर्शित किए गए। झांकियों के शीर्षक ‘स्वदेशी रूप से विकसित सेंसर, हथियार’ और ‘एलसीए तेजस के लिए इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम’ थे और भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों की झांकी का शीर्षक ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम’ ।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दो झांकियां प्रदर्शित कीं, जिनमें देश की रक्षा तकनीक में प्रगति को दर्शाया गया। इसके बाद 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और नौ मंत्रालयों और विभागों की झांकियां निकाली गईं, जिन्हें ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत विभिन्न विषयों पर तैयार किया गया था।
झांकी के बाद एक अखिल भारतीय नृत्य प्रतियोगिता ‘वंदे भारतम्’ के माध्यम से चुनी गईं 480 नर्तकियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। यह पहली बार है कि परेड के दौरान किए जाने वाले नृत्य समूहों को अखिल भारतीय स्तर की प्रतियोगिता के आधार पर चुना गया।
जैसे ही सभी झांकियों ने अपनी प्रस्तुति समाप्त की, सीमा सुरक्षा बल और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की महिलाओं ने मोटरसाइकिल पर अपने साहसी स्टंट से शो किया। इस शानदार प्रदर्शन से देशभर में लाखों महिलाओं को प्रेरणा मिली।
ग्रैंड फिनाले और परेड का सबसे उत्सुकता से प्रतीक्षित खंड फ्लाईपास्ट पहली बार भारतीय वायुसेना के 75 विमानों और हेलीकॉप्टरों को प्रदर्शित किया गया, जिनमें राफेल, सुखोई, जगुआर, एमआई-17, सारंग, अपाचे, राहत, मेघना, एकलव्य, त्रिशूल, तिरंगा, विजय, अमृत, डकोटा जैसे पुराने और आधुनिक विमान/हेलीकॉप्टर प्रदर्शित किए गए।
समारोह का समापन राष्ट्रगान और तिरंगे गुब्बारों को आसमान में उड़ाने के साथ हुआ। फ्लाईपास्ट के दौरान कॉकपिट वीडियो दिखाने के लिए पहली बार वायुसेना ने दूरदर्शन के साथ समन्वय किया था।
–आईएएनएस
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