नई दिल्ली: मेरठ के पास स्थित एक गांव से निकल कर जकार्ता में भारत का परचम लहराने वाले 16 साल के निशानेबाज सौरभ चौधरी को बचपन से ही पढ़ाई से चिढ़ थी, लेकिन उनकी जिंदगी में निशानेबाजी के रूप में एक ऐसा गुर था, जिसे वह जुनून की हद तक प्यार करते थे।
अपने इसी जुनून को परवान चढ़ाने की दिशा में सौरभ ने अपने परिवार वालों से रार ठानी और फिर उन्हें अपनी जिद के आगे मजबूर करके अपने सपनों को हकीकत में तब्दील करने के लिए पास के ही गांव में अभ्यास के लिए निकल पड़े। इसके बाद सौरभ ने सीधा जकार्ता का रुख किया जहां 18वें एशियाई खेलों में स्वर्ण जीत कर भारत के लिए इस महाद्वीपीय खेल में पदक जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने।
सौरभ ने पदक जीतने के एक दिन बाद आईएएनएस से फोन पर कहा, “मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता था और शुरू से ही निशानेबाजी से प्यार था। इसलिए मैंने घर वालों से कहा कि मुझे निशानेबाजी करनी है। मैंने कोशिश की और लगातार सुधार होता चला गया।”
सौरभ ने अपने गांव बिनोली में अमित श्योराण के मार्गदर्शन में निशानेबाजी की शुरुआत की थी। अमित, सौरभ के निजी कोच भी हैं।
सौरभ ने कहा कि जब वह एशियाई खेलों के लिए जा रहे थे उस वक्त पदक के बारे में नहीं सोचा था। उन्होंने कहा कि वह ज्यादा सोचते नहीं है और जो उन्हें सिखाया जाता है उस पर ध्यान देते हैं।
उन्होंने कहा, “अभी तो आगे के बारे में कुछ सोचा नहीं। मैंने एशियाई खेलों में पदक के बारे में भी नहीं सोचा था। सोचना नहीं है बस अपनी मेहनत करनी है और जो सिखाते हैं उस पर ध्यान देना है।”
10 मीटर एयर पिस्टल के स्वर्ण पदक विजेता ने कहा, “एशियाई खेल था, काफी बड़ा था, मैंने इसे आम टूर्नामेंट की तरह लिया था, इसीलिए अलग से कुछ खास तैयारी नहीं थी। ज्यादा दबाव नहीं लिया कि विश्व चैम्पियन, ओलम्पिक के निशानेबाज आ रहे हैं।”
सौरभ की सफलता को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें 50 लाख रुपये का इनाम और राजपत्रित अधिकारी पद पर नौकरी देने की घोषणा की है।
हालिया दौर में भारत में मनु भाकेर, मेहुली घोष, अनिश भानवाल जैसे युवा निशानेबाजों ने विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है। सौरभ से जब पूछा गया कि क्या उन्हें इस समय निशानेबाजी में ज्यादा प्रतिद्वंद्विता नजर आती है तो उन्होंने कहा, “प्रतिस्पर्धा चाहे कितनी भी हो मैं हमेशा मेहनत करने पर ध्यान देता हूं।”
उन्होंने कहा, “एक नियम है, जितना आगे बढ़ना है उसके हिसाब से मेहनत करनी होती है। ऐसा नहीं है कि मैंने अब पदक जीत लिया है तो कम मेहनत करनी होगी। अगर आगे बढ़ाना है तो जितनी मेहनत करके जो स्तर हासिल किया है उससे आगे जाने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है।”
सौरभ जहां से आते हैं वहां निशानेबाजी की आधुनिक सुविधाएं नहीं हैं। सौरभ ने माना कि उन्हें भी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने कहा, “जब आप एक स्तर पर पहुंच जाते हो तो अभ्यास के लिए उस तरह की सुविधाएं भी चाहिए होती हैं। अभी जहां मैं अभ्यास करता हूं वहां ज्यादा सुविधाएं नहीं हैं। रेंज अच्छी नहीं है, कम्प्यूटर वाली लाइन भी नहीं है। यह सब सरकार को उपलब्ध कराना चाहिए। सरकार का ऐसा करने से काफी हौसला बढ़ता है।”
सौरभ ने कहा कि उन्हें पदक जीतने के कुछ देर बाद एहसास हुआ कि उन्होंने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है। उन्होंने पदक जीतने के बाद भारत में समाचार वेबसाइट्स पर भी नजर डाली थी।
–आईएएनएस
और भी हैं
17 मई से फिर शुरू होगा आईपीएल, फाइनल 3 जून को
बीसीसीआई ने आईपीएल को एक सप्ताह के लिए स्थगित किया
आईपीएल 2025 : आंद्रे रसेल की ऑलराउंड क्षमताओं को पूरी तरह भुनाने में कितनी कामयाब रही केकेआर?