नई दिल्ली। कोरोना से देश में पत्रकारों की लगातार मौतों का सिलसिला जारी है। देश के अन्य लोगों की तरह ये पत्रकार ऑक्सीजन , दवाइयों और अस्पताल में जगह न मिलने के कारण काल का ग्रास बन रहे हैं। केंद्र सरकार इन फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स के परिवारों को एक एक करोड़ ₹ की सहायता प्रदान करे ।
आल इंडिया माइनोरिटीज फ्रंट के अध्यक्ष व आई एन एस समाचार पत्र समूह के संपादक डॉ सैयद मोहम्मद आसिफ ने यह मांग करते हुए कहा है कि अपने कार्य की प्रकृति की वजह से देश में पत्रकार कोरोना वारियर्स की भूमिका में हैं। इसलिए केंद्र सहित सभी राज्य सरकारों को उन्हें फ्रंट लाइन कोरोना वर्कर्स का दर्जा फौरन देना चाहिए। सरकार को मृतक पत्रकार के परिवार को एक एक करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान करनी चाहिए। इसके साथ कोरोना संक्रमित पत्रकार के लिए अस्पताल में बेड, दवाइयों व ऑक्सीजन का प्राथमिकता के आधार पर प्रबंध किया जाना चाहिए।
डॉ आसिफ ने कहा कि देश के पत्रकारों की आर्थिक स्तिथि बहुत नाजुक है। कोरोना काल में ज्यादातर समाचार पत्र संस्थान घाटे की स्तिथि में आ गए हैं। कोरोना महामारी के बावजूद पत्रकार अपनी जिम्मेदारी पूरी गंभीरता से निभा रहे हैं। अपने इस समर्पण के चलते वे कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। सरकारों की जिम्मेदारी है कि वह बीमार पत्रकार के इलाज की व्यवस्था करे और मृतक पत्रकार परिवारों की अविलंब आर्थिक सहायता जारी करें।
उन्होंने कहा कि पत्रकार ताज़ातरीन जानकारियों, सिस्टम की अनियमितताओं , आम जन की परेशानियों को सामने लाने का महत्त्वपूर्ण काम कर रहे, ऐसे में सरकार की जिम्मेवारी है कि संकट की स्तिथि में वह उनकी हर तरह की मदद करे।
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