एस.पी. चोपड़ा, नई दिल्ली। कुछ समय पहले जब देश साम्प्रदायिकता, जातिवाद, भ्रष्टाचार की लपटों में जल रहा था, तभी एक समाजक सेविका ने देश के अलग-अलग प्रदेशों का दौरा किया और उन्होंने देखा कि देश में चारो तरफ अराजकता फैली हुयी है तथा देश की राजधानी दिल्ली में भी महिलायें सुरक्षित नहीं हैं। ‘‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’’ की बात हो रही है, परन्तु बेटियों की सुरक्षा की बात कोई नहीं कर रहा है तथा देश का सबसे बड़ा प्रदेश उत्तर प्रदेश साम्प्रदायिक दंगों की लपटों में जल रहा था तभी ढाई साल पहले उनके मन में विचार आया कि देश को कैसे बचाया जाय, परन्तु यह काम अकेले नहीं हो सकता था।
तभी सोचा गया कि क्यों न एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया जाय, जिसके बैनर तले देश के लोकतंत्र को बचाया जाय। उन्होंने अपने शुभ-चिन्तकों, बुद्धिजीवियों से गहन मन्त्रणा की और ढाई साल पहले एक राजनीतिक पार्टी का गठन कर लिया, जिसका नाम रखा गया ‘‘आजाद भारत कांग्रेस’’ और सबकी सहमति से बुद्धि की प्रखर एवं चतुर समाज सेविका मोहिनी शर्मा को सर्व-सहमति से पार्टी की अध्यक्षा बनाया गया।
उन्होंने ‘‘आजाद भारत कांग्रेस’’ पार्टी का गठन इस आशय से किया कि वर्तमान भारत वर्ष में कई विशम परिस्थितियां पैदा हो रही हैं जिनसे लोकतंत्र को बचाना आवष्यक हो गया है तथा रोजमर्रा की समस्यायें- बेरोजगारी, महंगाई, अषिक्षा, जनसंख्या विस्फोट, किसानों की बढ़़ती आत्महत्याएं, दीवानी व फौजदारी के वाद निस्तारण समय से न होना एवं अषांति, असुरक्षा जैसी समस्याऐं सुरसा की तरह मुंह बाये खड़ी हैं। ऐसी विशम परिस्थितियों में मोहिनी श र्मा ने विगत ढाई वर्शों से बड़ी मेहनत, लगन एवं पूरी ऊर्जा के साथ पार्टी को अनवरत आगे बढ़ाने का कार्य जारी रखा।
पार्टी की राश्ट्रीय अध्यक्षा ने पार्टी के वरिश्ठ पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को बुलाकर एक खुली मीटिंग की जिसमें सबकी राय ली गयी कि उत्तर प्रदेशके न्यायिक सेवा में कार्यरत जिला एवं सत्र न्यायाधीशश्री के.के. श र्मा जो मृदुभाशी, ईमानदार एवं लगनषील तथा मुकदमों को त्वरित निस्तारण करने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने न्यायिक सेवा में रहते हुये विशम परिस्थितियों का भी सामना किया एवं दृर्ढ़ता से अपने कार्य के प्रति अडिग रहे। उन्होंने अपनी मान-मर्यादा बचाने के लिये दो बार त्याग पत्र भी दे दिया था। यह खबर सभी प्रमुख समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाषित की थी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश के.के. श र्मा ने अपने साथ हो रहे उपेक्षित व्यवहार से परेषान होकर त्याग पत्र भी दे दिया था जो अस्वीकार कर दिया गया था, तभी इन्हांेने राजनीति में सक्रिय भागीदारी का मन बना लिया था।
यह समाचार पढ़ कर पार्टी अध्यक्षा श्रीमती मोहिनी श र्मा ने उत्तर प्रदेशके प्रदेशअध्यक्ष श्री बसंत यादव को यह दायित्व सौंपा कि वे श्री के0के0श र्मा से सम्पर्क स्थापित करके उनको अपनी पार्टी ‘‘आजाद भारत कांग्रेस’’ में सम्मिलित करने के लिये यथासंभव प्रयास करें।
प्रदेशअध्यक्ष बसंत यादव ने श्री श र्मा से सम्पर्क स्थापित किया एवं अपनी पार्टी के बारे में विस्तृत रूप से सत्र न्यायाधीशश्री के.के. श र्मा को ‘‘आजाद भारत कांग्रेस’’ पार्टी के दायित्वों से अवगत कराया, तब सेवानिवृत्त होने के बाद के.के. श र्मा ने आत्म-मंथन किया। उन्होंने पाया कि ‘‘आजाद भारत कांग्रेस’’ पार्टी देशमें लोकतंत्र को बचा सकती है और उन्होंने ‘‘आजाद भारत कांग्रेस’’ पार्टी की राश्ट्रीय अध्यक्षा श्री मोहिनी श र्मा से सम्पर्क स्थापित किया।
श्रीमती मोहिनी शर्मा ने श्री के.के. श र्मा के सम्मुख यह प्रस्ताव रखा कि आप एक योग्य एवं अनुभवी व्यक्ति हैं, तथा आपके पार्टी में षामिल होने से आपके अनुभव का लाभ पार्टी व देशको मिलेगा तथा उन्होंने कहा कि अगर आप पार्टी में सम्मिलित होते हैं तो मैं अध्यक्ष पद त्यागने के लिये तैयार हूँ। मोहिनी शर्मा की भावनाओं का आदर करते हुये को के.के. शर्मा ने राश्ट्रीय अध्यक्ष पद स्वीकार कर लिया।
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