नई दिल्ली| भारत में पेट्रोल डीजल पर निर्भरता कम करने के लिए हाइड्रोजन के इस्तेमाल की अपनी तरह की एक परियोजना शुरू की जा रही है। इसका उद्देश्य ग्रीन हाइड्रोजन और एफसीईवी प्रौद्योगिकी की अनूठी उपयोगिता के बारे में जागरूकता पैदा करके देश में एक ग्रीन हाइड्रोजन आधारित इकोसिस्टम बनाना है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करके स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगी और इस तरह 2047 तक भारत को ‘ऊर्जा आत्मनिर्भर’ बनाएगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के मुताबिक हाइड्रोजन द्वारा संचालित फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (एफसीईवी) सबसे अच्छे शून्य उत्सर्जन समाधानों में से एक है। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है, जिसमें पानी के अलावा कोई अन्य उत्सर्जन नहीं है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय का मानना है कि अक्षय ऊर्जा और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध जीवाश्म (बायोमास) से ग्रीन हाइड्रोजन उत्पन्न किया जा सकता है। ग्रीन हाइड्रोजन की क्षमता का दोहन करने के लिए नई प्रौद्योगिकी लाना और उसे अपनाना जरूरी है। यह भारत के लिए एक स्वच्छ और किफायती ऊर्जा भविष्य हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को नई दिल्ली में दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक विकसित ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (एफसीईवी) टोयोटा मिराई का शुभारंभ भी किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, आरके सिंह, महेंद्र नाथ पांडे, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर लिमिटेड के एमडी मसाकाजू योशिमुरा, टीकेएम लिमिटेड के वीसी विक्रम किर्लोस्कर और अधिकारी भी उपस्थित थे।
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर प्राइवेट लिमिटेड और इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) दुनिया के सबसे उन्नत फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (एफसीईवी) टोयोटा मिराई का अध्ययन और मूल्यांकन करने के लिए एक प्रायोगित परियोजना का संचालन कर रहे हैं, जो भारतीय सड़कों और जलवायु परिस्थितियों में हाइड्रोजन पर चलता है।
–आईएएनएस
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