नवगठित राजनीतिक पार्टी स्वराज इंडिया ने मांग किया है कि झारखंड में बीस नागरिकों पर फेसबुक पोस्ट्स के आधार पर लगाए गए देशद्रोह के मुकदमों को तुरंत वापिस लिया जाए। जिनपर एफआईआर किया गया है वो सब अलग अलग पेशों से जुड़े हुए लोग है, कुछ सरकारी सेवक है, कुछ बैंककर्मी, कुछ लेखक पत्रकार और कुछ समाजसेवी हैं।
पुलिस की तरफ से आरोप लगाया गया कि इन बीस लोगों ने अपने फेसबुक पोस्ट में संविधान की ग़लत व्याख्या करके आदिवासियों को उकसाया, जिसके फलस्वरूप आंदोलनरत आदिवासियों ने सांसद कड़िया मुंडा के सुरक्षा गार्डों का अपहरण कर लिया।
ज्ञात हो कि रांची जिले के खूंटी थाने में लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए विनोद कुमार, समाजसेवी फादर स्टेन स्वामी समेत बीस पथलगढ़ी समर्थक नागरिकों पर आईटी एक्ट की धारा 66A/F का हवाला देकर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। बावजूद इसके कि देश की उच्चत्तम न्यायालय ने वर्ष 2015 में ही इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने झारखंड सरकार के इस कार्यवाई की भर्त्सना करते हुए कहा कि ये अत्यंत अफसोसजनक है कि राज्य की पुलिस खुद असंवैधानिक ढंग से काम करते हुए नागरिकों पर संविधान की गलत व्याख्या का आरोप लगा रही है। साथ ही, उच्चत्तम न्यायालय के फैसलों की अवहेलना करते हुए उल्टे नागरिकों पर ही देशद्रोह का आरोप मढ़ देती है। भारतीय लोकतंत्र और संविधान के हर रक्षक और ज़िम्मेदार नागरिकों को झारखंड सरकार के इस पुलिसिया कार्यवाई के ख़िलाफ़ मजबूती से आवाज़ उठानी होगी।
मुकदमों को खारिज़ करने की मांग के साथ योगेंद्र यादव ने कहा कि नागरिक अधिकारों की बात हो या मीडिया के स्वतंत्रता की, आज हमारी सरकारों द्वारा देशभर में अभिव्यक्ति पर लगाम लगाने की अलोकतांत्रिक कोशिशें हो रही हैं। सत्ताधारी पार्टी, उनके शीर्ष नेता या नीति की आलोचना भर से सरकार तिलमिला जा रही है और विरोधी स्वरों को हर हथकंडे का प्रयोग करके दबाया जा रहा है।
लोकतंत्र और संविधान के ख़िलाफ़ उठाये गए ऐसे हर कदम या दमन की कार्यवाई के ख़िलाफ़ स्वराज इंडिया मजबूती से खड़ा है। पार्टी ने मुख्यमंत्री रघुबर दास से मांग किया है कि जल्द से जल्द झारखंड सरकार अपनी गलती सुधारे और सभी बीस नागरिकों पर दायर मुकदमे को खारिज़ करे।
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