प्रेमबाबू शर्मा,
काॅसमिड ट्रायल ने यह संकेत दिया है कि बीमारी से शीघ्र ग्रसित होने वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज पर नियंत्रण करने के लिए बैरियाट्रिक सर्जरी चिकित्सा व जीवनशैली से संबंधित उपचार की अपेक्षा कहीं अधिक प्रभावी है अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के 76वें वैज्ञानिक सत्र में कल एथिकाॅन द्वारा वित्त पोषित अध्ययन के आंकड़ों में बताया गया कि बैरियाट्रिक सर्जरी अनियंत्रित टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित भारतीय रोगियों के लिए मेडिकल थेरैपी और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट की तुलना में एक बेहतर उपचार विकल्प है। काॅसमिड (कम्पैरिजन आॅफ सर्जरी वर्सेज मेडिसिन फाॅर इंडियन डायबिटीज) ट्रायल पहला रैंडमाइज्ड कंट्रोल अध्ययन है, जिसे विशेष रुप से एशियाई भारतीय लोगों पर संचालित किया गया, जिनमें कम आयु में ही टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी हो जाती है और जिनमें काॅकेशियंस की अपेक्षा कम बीएमआइ होता है।
डाॅ. इलियट फेजलमन, थेरैप्यूटिक एरिया एक्सपर्ट, मेटाबोलिक्स, जाॅनसन एंड जानसन इनोवेशंस ने कहा कि, ‘‘भारत में 300 मिलियन से अधिक लोग मोटापे से पीड़ित हैं और टाइप 2 डायबिटीज के मामले खतरनाक दर से बढ़ने लगे हैं। यदि काॅकेशियन से इसकी तुलना की जाए तो भारतीय एशियाई लोग एक निम्न बीएमआइ पर मधुमेह की चपेट में कहीं अधिक संख्या में आ जाते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि क्या बैरियाट्रिक सर्जरी कम मोेटे लोगों में प्रभावी रहेगी अथवा नहीं। काॅसमिड ट्रायल ने इस ज्ञान के अंतर को भरने में सफलता पायी है एवं नतीजों से यह सिद्ध हुआ है कि बैरियाट्रिक सर्जरी इस समूह में व्याप्त टाइप 2 डायबिटीज पर नियंत्रण व उपचार में मेडिकल व लाइफस्टाइल मैनेजमेंट की अपेक्षा कहीं अधिक असरदार रहती है।’’
डाॅ. शशांक शाह, अध्ययन के प्रमुख जांचकर्ताओं में से एक, जिन्होंने एडीए के वैज्ञानिक सत्र में इससे प्राप्त जानकारियों का खुलासा किया था, ने कहा कि, ‘‘एशियाई भारतीयों, जो मोटापे व टाइप 2 डायबिटीज से पीडित हैं, का वर्तमान चिकित्सकीय व जीवन शैली उपचार अक्सर इन स्थितियों से संबद्ध बीमारियों व मौतों को रोकने में अपर्याप्त रहता है। काॅसमिड ने ऐसे प्रमाण उपलब्ध कराये हैं, जो गैस्ट्रिक बाइपास को चिकित्सकीय उपचार की तुलना में कहीं अधिक बेहतर उपचार के तौर पर साबित करते हैं और यह ऐसे रोगियों के लिए एक विकल्प हो सकता है।’’ डाॅ. शाह को इस वर्ष एडीए का प्रतिष्ठित विवियन फोंसेका स्काॅलर अवार्ड भी दिया गया है। यह पुरस्कार दक्षिण एशियाई, एशियाई अमेरिकी, हवाई के मूल निवासियों और प्रशांत द्वीपीय लोगों पर मधुमेह से संबंधित अनुसंधान तथा/अथवा विश्व के इन क्षेत्रों के एक वैज्ञानिक को सम्मानित करता है।
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