कोलकाता| कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिसमें मुख्य सचिव के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए उनके द्वारा चुनाव आयोग से कोलकाता के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव कराने का अनुरोध किए जाने पर आपत्ति जताई गई है, जहां से ममता बनर्जी चुनाव लड़ने का इरादा रखती हैं। याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की संभावना है।
भवानीपुर में उपचुनाव की घोषणा को लेकर विवाद तब पैदा हुआ, जब चुनाव आयोग ने अपनी अधिसूचना में कहा कि राज्य सरकार के अनुरोध के कारण दक्षिण कोलकाता निर्वाचन क्षेत्र के लिए उपचुनाव को एक विशेष मामला माना जा रहा है।
चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव एच.के. द्विवेदी के बयान का हवाला देते हुए कहा, “उन्होंने (मुख्य सचिव) ने उद्धृत किया कि संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के तहत, एक मंत्री जो लगातार छह महीने की अवधि से राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं है, तो उस अवधि की समाप्ति के बाद मंत्री और सरकार में शीर्ष कार्यकारी पदों पर बने रहने पर एक संवैधानिक संकट और शून्य पैदा होगा, जब तक कि चुनाव नहीं हो जाता।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासनिक जरूरतों और जनहित को देखते हुए और राज्य में शून्यता से बचने के लिए कोलकाता के भवानीपुर में उपचुनाव कराया जा सकता है, जहां से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ना चाहती हैं।
अधिसूचना में कहा गया है, “मुख्य सचिवों और राज्यों के संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के इनपुट और विचारों को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने अन्य 31 विधानसभा क्षेत्रों और 3 संसदीय क्षेत्रों में उपचुनाव नहीं कराने और संवैधानिक आवश्यकता को देखते हुए पश्चिम बंगाल राज्य के विशेष अनुरोध पर भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव कराने का फैसला लिया है।”
याचिकाकर्ता सायन बंद्योपाध्यायम ने अपनी जनहित याचिका में अधिसूचना का विरोध किया और मुख्य सचिव के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया।
याचिकाकर्ता ने पूछा कि क्या राज्य के नौकरशाही प्रमुख के पास चुनाव आयोग से किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव कराने का अनुरोध करने का अधिकार है? क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री वहां से ‘चुनाव लड़ने का इरादा रखते हैं’।
यह भी आरोप लगाया गया है कि ममता बनर्जी ने सिर्फ एक सीट पर उपचुनाव कराने के लिए मुख्य सचिव द्विवेदी का इस्तेमाल किया।
जनहित याचिका में एक विशेष निर्वाचन क्षेत्र को अलग करने और वहां चुनाव कराने पर भी सवाल उठाया गया है।
याचिकाकर्ता ने सवाल किया कि भवानीपुर के अलावा, गोसाबा, खरदाह, शांतिपुर और दिनहाटा जैसे अन्य विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां सीटें खाली पड़ी हैं तो भवानीपुर को एक अपवाद क्यों माना गया और अगर इस दक्षिण कोलकाता निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव नहीं हुआ तो किस तरह का संवैधानिक संकट पैदा होगा।
राज्य भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पहले उपचुनावों की घोषणा पर अदालत का रुख करने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा, “भवानीपुर में चुनाव नहीं होने पर किस तरह का संवैधानिक संकट आएगा? क्या मुख्य सचिव संकेत दे रहे हैं कि अगर ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री नहीं रहती हैं तो संवैधानिक संकट हो सकता है? मुख्य सचिव होने के नाते इन चीजों को देखने की उनकी जिम्मेदारी नहीं है। चुनाव आयोग एक स्वायत्त निकाय है, जिसे किसी के प्रभाव में नहीं आना चाहिए।”
इस बीच, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी दिल्ली में हैं, जहां उनके केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने की संभावना है। कयास लगाया जा रहा है कि अधिकारी भवानीपुर उपचुनाव के मुद्दे पर गृहमंत्री से चर्चा कर सकते हैं।
–आईएएनएस
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