नागपुर| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि पिछले 70 सालों में पहली बार दुनिया का ध्यान भारत के ऊपर केंद्रित हुआ है। लेकिन विभिन्न प्रकार के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा अभी भी चिंता के विषय हैं।
भागवत ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पारंपरिक वार्षिक दशहरा रैली में की। रैली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए।
पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के साथ और उत्तरी सीमा पर चीन के साथ विवाद में सरकार द्वारा उठाए गए कदम की सराहना करते हुए भागवत ने कहा कि डोकलाम मुद्दे से निपटने से भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति के मामले में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा है।
संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा कि यहां तक कि जम्मू एवं कश्मीर में भी सत्तारूढ़ भाजपा सरकार सुरक्षा बलों को अपनी जिम्मेदारी निभाने की अनुमति देकर घुसपैठ को उचित तरीके से जवाब दे रही है।
भागवत के मुताबिक, “अलगाववादी तत्वों के उकसावे की कार्रवाई, प्रचार और विनाशकारी गतिविधियों को उनके आर्थिक संसाधनों को रोक कर और उनके राष्ट्र-विरोधी ताकतों के साथ संबंधों को उजागर कर रोका जा रहा है।”
भागवत ने कहा, “कुछ राष्ट्र-विरोधी और जिहादी ताकतें सीमावर्ती क्षेत्रों वाले राज्यों में अराजकता की स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल और केरल की स्थितियां भी किसी से छिपी नहीं हैं। ऐसा मालूम पड़ता है कि अपने संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए वहां की सरकारें राष्ट्र-विरोधी ताकतों का समर्थन कर रही हैं।”
रोहिंग्या मुसलमानों के मसले पर भागवत ने कहा कि वे देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा बन सकते हैं और उनके बारे में कोई भी फैसला इस बात को ध्यान में रखकर लिया जाना चाहिए।
–आईएएनएस
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