नई दिल्ली, 13 अक्टूबर । विशेषज्ञों ने बताया है कि भारत के हर घर में ग्रिल्ड अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो देश में डायबिटीज के लगातार बढ़ते मामलों का सीधा कारण हैं। भारत में डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या 101 मिलियन है। भारतीयों के लिए हाल ही में जारी आईसीएमआर-एनआईएन आहार संबंधी दिशा-निर्देशों से पता चलता है कि 5-19 वर्ष की आयु के 10 प्रतिशत से अधिक बच्चे प्री-डायबिटिक हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंसेज एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि डीप फ्राई, बेक्ड और ग्रिल किए गए अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (एजीई) से भरपूर होते हैं, जो सूजन का कारण बनते हैं और डायबिटीज सहित कई बीमारियों का खतरा पैदा करते है। चेन्नई स्थित मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (एमडीआरएफ) के डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ. वी. मोहन ने आईएएनएस को बताया कि उनकी टीम ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर एजीई पर अध्ययन किया है। उन्होंने कहा, ”जब हम खाद्य पदार्थों को तलते या ग्रिल करते हैं तो इससे ऑक्सीडेटिव पैदा होता है जो सूजन को बढ़ावा देता है। शरीर में पुरानी सूजन मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर से जुड़ी होती है।
अत्यधिक ट्रांस वसा वाले फूड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।” शोध के अनुसार एडवांस्ड ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (एजीई) युक्त खाद्य पदार्थों में लाल मांस, तले हुए खाद्य पदार्थ, फ्रेंच फ्राइज़, फ्राइड चिकन, बेकन, बिस्कुट, बेकरी उत्पाद, मक्खन, मार्जरीन और शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ शामिल हैं। दूसरी ओर, फल और सब्जियां, ब्रोकली, फलियां, जई, डेयरी, अंडे, मछली, बादाम, अखरोट, काजू आदि लाॅ इज फूड की कैटेगरी में आते हैं। मोहन ने कहा, ”हमारे शोध से पता चला है कि उच्च डाइटरी एजेज वाले खाद्य पदार्थ टाइप 2 मधुमेह और सूजन से जुड़े हैं। कम डाइटरी एजेज वाले खाद्य पदार्थ मधुमेह के खिलाफ सुरक्षात्मक हैं।” साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के अध्यक्ष और प्रमुख – एंडोक्राइनोलॉजी एवं मधुमेह डॉ. अम्बरीश मित्तल ने आईएएनएस को बताया, “तला हुआ भोजन का मतलब है कि हमारे शरीर में संतृप्त वसा और कैलोरी की मात्रा अधिक है, इसलिए यह स्वाभाविक रूप से हमारे लिए अच्छा नहीं होगा।” उन्होंने कहा, “भारत में बहुत सारा तला हुआ भोजन, खास तौर पर स्ट्रीट फूड, दोबारा गर्म किए गए तेल में बनता है।
दोबारा गर्म किए गए तेल में ट्रांस फैट बहुत अधिक होता है, जो हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाला बड़ा कारक है।” उन्होंने कहा कि बेक्ड फूड भी जरूरी नहीं कि सेहतमंद हो, क्योंकि ज्यादातर बेक्ड फूड कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है। मोहन ने आईएएनएस को बताया कि मोटापे की दर को बढ़ावा देने वाले ये खाद्य पदार्थ देश में डायबिटीज के प्रमुख कारणों में से एक हैं, साथ ही उन्होंने सरकार से स्वस्थ खाने की आदतों को बढ़ावा देने का आग्रह किया। इसके अलावा, एमडीआरएफ अध्ययन से पता चला है कि “सफेद चावल या गेहूं का अत्यधिक सेवन कार्बोहाइड्रेट को बढ़ाता है, जो शुगर का कारण बनता है। इसके अलावा, तनाव, नींद की कमी और वायु प्रदूषण भी इसके पीछे प्रमुख कारण हैं।
-आईएएनएस
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