सिंगापुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सिंगापुर के अपने समकक्ष ली सीन लुंग के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद शुक्रवार को कहा कि भारत और सिंगापुर जल्द ही अपने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) को और आगे बढ़ाएंगे। मोदी ने बैठक के बाद ली के साथ संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “हम सीईसीए की दूसरी समीक्षा से खुश हैं।”
उन्होंने कहा, “लेकिन दोनों देश इस बात से सहमत हैं कि यही हमारा लक्ष्य नहीं है, बल्कि सिर्फ एक और मील का पत्थर है।”
मोदी ने कहा, “दोनों देशों के अधिकारी जल्द ही इस पर चर्चा करेंगे कि समझौते को कैसे बढ़ाया जाए।”
भारत और सिंगापुर ने 2005 में सीईसीए पर हस्ताक्षर किया था। सिंगापुर पहला ऐसा देश है, जिसके साथ भारत ने इस प्रकार का समझौता किया।
ली ने कहा कि सीईसीए के प्रभावी होने के बाद से भारत और सिंगापुर के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होकर 25 अरब डॉलर हो गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में सिंगापुर, भारत के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में काम करेगा।
मोदी ने कहा कि जहां भारत के लिए सिंगापुर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का महत्वपूर्ण स्रोत है, वहीं यह देश भारतीय निवेश की भी एक शीर्ष जगह है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सिंगापुर की कंपनियों द्वारा भारत में निवेश बढ़ रहा है। भारत के विकास में महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सिंगापुर की कंपनियों के लिए शानदार अवसर हैं।
इस बात का जिक्र करते हुए कि भारत और सिंगापुर के बीच उड़ान सेवाएं तेजी से बढ़ी हैं, भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच जल्द ही एक हवाई सेवा समझौता होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश रणनीतिक सहयोग के मामले में रक्षा और सुरक्षा पर बहुत ज्यादा जोर दे रहे हैं।
सिंगापुर-भारत द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास (सिम्बेक्स) के 25वें वर्ष पर दोनों देशों की नौसेना को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि जल्द ही त्रिपक्षीय अभ्यास शुरू किया जाएगा।
मोदी ने कहा, “आने वाले समय में, साइबर सुरक्षा और चरमपंथ व आतंकवाद से लड़ने के मामले में हमारे सहयोग को अधिक महत्व मिलेगा। हम मानते हैं कि ये दोनों देशों के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।”
मोदी ने कहा कि उन्होंने और प्रधानमंत्री ली ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की है।
उन्होंने कहा, “हमने समुद्री सुरक्षा पर हमारे संबंधित विचारों की समीक्षा की और नियम-आधारित आदेश के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दोहराई।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि एक खुली, स्थिर और उपयुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था बनाए रखी जानी चाहिए।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को जल्द मूर्त रूप देने के लिए भारत प्रतिबद्ध है।
आरसीईपी दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के 10 देशों और छह देशों ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है।
मोदी अपने पांच दिवसीय दक्षिणपूर्व एशिया दौरे के तीसरे व अंतिम चरण के तहत बुधवार को यहां पहुंचे।
–आईएएनएस
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