भारत में पहली बार ये प्रजाति मिली जिंदा
मन्नार की खाड़ी में सेतुकराई तट समुद्री जैवविधिता के मामले में दुनिया के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक माना जाता है। इसी कड़ी में भारतीय रिसर्चर को सेतुकराई तट पर गिरगिट की तरह रंग बदलने वाली एक दुर्लभ मछली मिली है।केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) के वैज्ञानिकों ने बताया कि समुद्री घास में छिपकर रहने वाली ‘‘बैंडटेल स्कॉर्पियनफिश’’ दुर्लभ प्रजाति है । कोच्चि स्थित सीएमएफआरआई ने रविवार को जारी बयान में कहा, ‘‘पहली बार भारतीय जलसीमा में यह प्रजाति जिंदा मिली है।’’बयान के मुताबिक यह बहुत ही दुर्लभ प्रजाति है यह रंग बदलने और शिकारियों से बचने के लिए आसपास के माहौल में छिपने में सक्षम है।
पहली नजर में पैदा हुआ भ्रम
सीएमएफआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर जयभास्करण ने कहा, ‘‘ पानी के अंदर सर्वेक्षण के दौरान इस प्रजाति को कोरल कंकाल के रूप में देखा गया। पहली नजर में यह भ्रम पैदा हुआ कि यह मछली है या कोरल कंकाल का जीवाश्म।’’
यूनेस्को के मुताबिक मन्नार की खाड़ी में 4,223 समुद्री प्रजातियों का वास है और जैव विविधता के मामले में भारत के सबसे संपन्न तटीय इलाकों में से एक है।
मछली की खासियत ?
सीएमएफआरई के साइंटिस्ट्स का कहना है कि यह मछली अपनी रीढ़ की हड्डी में जहर को स्टोर कर के रखती है। गंभीर स्थिति में गिरगिट की तरह रंग बदलने में भी सक्षम है। समुद्री घास की पारिस्थितिकी का सर्वेक्षण करने के दौरान इस मछली का पता चला। स्कॉर्पियनफिश का वैज्ञानिक नाम स्कॉर्पिनोस्पिसिस नेगलेक्टा है। इसकी खासियत यह है कि ये अपना रंग मात्र 4 सेकेंड में ही बदल लेती है। यह बहुत ही जहरीली होती है। इसके सेंसरी ऑर्गन पूंछ में होते हैं जो बहुत ही तेज होते हैं।
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