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महिला दिवस: धर्म का पालन करते हुए शासकीय सेवा और अदब की खिदमत कर रहीं नुसरत मेहदी

नई दिल्ली| महिलाओं के अदृश्य संघर्ष को सलाम करने के लिए उनके सम्मान में, उन्हें समान अधिकार और सम्मान दिलाने के उद्देश्य के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीयमहिला दिवस मना रहा है, ऐसे में उत्तरप्रदेश के बिजनौर में जन्मीं डॉ. नुसरत मेहदी अपने समाज अपने धर्म का पालन करते हुए कामयाबी से शासकीय सेवा और अदब की खिदमत कर रही हैं। नुसरत मेहदी बचपन मे मिले हुए अदबी माहौल के कारण अदब की खिदमत करना चाहती थीं। साथ ही शासकीय सेवा के माध्यम से समाज और देश के निर्माण में अपनी भूमिका निभाना और अपना योगदान देना चाहती थीं।

डॉ. नुसरत मेहदी ने यूपी के बिजनौर जिले से 12वीं तक शिक्षा हासिल कीं, वहीं आगे की पढ़ाई मेरठ और भोपाल से की हैं। वह एक बहुत प्रतिष्ठित, शिक्षित और साहित्यिक परिवार से तालुल्क रखती हैं। उनके पिता लड़कियों की शिक्षा के बहुत बड़े समर्थक थे।

नुसरत मेहदी शायरी के मैदान में काफी सक्रिय हैं। इनके अलावा उनकी बहनें भी शायरी करने का शौक रखती हैं।

नुसरत महानदी ने आईएएनएस को बताया, “मुस्लिम घर मे पैदा होना निश्चित रूप से फख्र की बात है। क्योंकि इस्लाम कभी औरत को कम नहीं आंकता और न ही उसे आगे बढ़ने, दुनिया मे नाम कमाने और समाज और मुल्क के निर्माण में अपनी भूमिका निभाने से रोकता है।”

नुसरत मेहदी अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद मध्यप्रदेश में ही शासकीय सेवा में आ गई। अंग्रेजी की व्याख्याता के रूप में अपनी सेवाएं देते हुए विभिन्न प्रशासनिक पदों पर अपनी सेवाएं भी दीं।

वह मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी में लंबे समय तक सचिव रहीं, मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड में प्रथम महिला मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहीं, राज्य हज समिति में भी कार्यपालन अधिकारी रहीं।

इतना ही नहीं, देश की विभिन्न संस्थानों जैसे उर्दू भाषा विकास परिषद दिल्ली, नेशनल बुक ट्रस्ट इत्यादि में सदस्य रही हैं। वहीं वर्तमान में मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं।

उर्दू अकादमी व हज कमेटी को नुसरत मेहदी की अनथक मेहनतों और सक्रियता के कारण देश में सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वाधिक सक्रिय होने का गौरव हासिल हुआ है।

नुसरत मेहदी बताती है, “हमारे समाज में आज भी बहुत से लोग स्त्री को एक निश्चित दायरे और निश्चित मापदंडो या कहिये कि उनके बनाये हुए मापदंडों में बांध के रखना चाहते हैं। निश्चित रूप से सौ प्रतिशत अब ऐसा नही है, लेकिन काफी बड़ा हिस्सा आज भी औरत के रिवायती रूप को ही पसन्द करता है। जिसमें उसके अपने वजूद, अपनी पसंद और अपना ²ष्टिकोण कोई मायने नही रखता।”

नुसरत मेहदी आज जानी मानी लेखिका, शायरा होने के साथ-साथ उच्च अधिकारी भी हैं। इस मकाम तक पहुंचने में उनकी अपनी काबिलियत के साथ उनके परिवार का भी सहयोग रहा है। लेकिन बाहरी दुनिया में संघर्ष और चुनौतियां बहुत हैं। जिसका सीधा संबंध वे हमारे समाज के एक बहुत बड़े तबके की कम इल्मी और अशिक्षा को मानती हैं।

नुसरत मेहदी जहां रहीं सफलता के कीर्तिमान स्थापित करती रहीं। इसीलिए शासकीय सेवा, अदब व शायरी में उन्हें अनेकानेक पुरस्कार और सम्मानों से नवाजा गया।

देश और विदेश में अनेक साहित्यिक सम्मेलनों और मुशायरों में वे भारत की कामयाब नुमाइंदगी करती रही हैं और आज भी करती हैं। उनकी कई किताबें हिंदी और उर्दू ने मंजरे आम पर आ चुकी हैं और मकबूलियत हासिल कर चुकी हैं। नुसरत मेहदी हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी भाषाओं में शायरी, अफसाने और मजमून लिखती हैं और संस्कृत, फारसी और अरबी भाषाओं की ज्ञाता हैं।

— आईएएनएस

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