नई दिल्ली: चित्रांगदा सिंह का मानना है कि ‘मीटू’ अभियान पुरुष बनाम महिला युद्ध नहीं है और न ही यह पुरुषों को अपराधी ठहराए जाने वाला अभियान है।
अभिनेत्री का कहना है कि यह अभियान सभी के लिए समाज को सुरक्षित बनाए जाने के लिए है।
चित्रांगदा ने कहा, “हर बदलाव की शुरुआत तभी होती है, जब हम बातचीत की शुरुआत करते हैं। सच कहूं तो पश्चिमी सभ्यता वाले समाज में और हमारे समाज में बहुत बड़ा अंतर है। अंग्रेजी के शो और फिल्में देख लेने से ही हम उस समाज का हिस्सा नहीं बन जाते।”
चित्रांगदा ने कहा कि यह अभियान महिला बना पुरुष युद्ध नहीं है। उन्होंने कहा, “यह समाज को सुरक्षित रखने के लिए है। इसमें केवल पुरुषों को अपराधी नहीं ठहराया जा रहा है।”
अभिनेत्री ने आईएएनएस से एक खास बातचीत में कहा, “हमारे समाज और हमारी सोच में अंतर है। यही कारण है कि हमारे ‘मीटू’ अभियान में समानता नहीं है। मैं तनुश्री दत्ता के बारे में कहूंगी कि उन्होंने एक बात सही कही थी कि एक अभियान के लिए समाज को उस प्रकार का वातावरण बनाना जरूरी है।”
चित्रांगदा का मानना है कि बदलाव के लिए महिला और पुरुष को साथ मिलकर काम करना होगा।
उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि कोई भी अभियान किसी एक लिंग के समर्थन में काम करता है और यह तब तक साबित नहीं होगा, जब तक महिला और पुरुष साथ नहीं होते। जब तक पुरुष यह नहीं समझेंगे कि महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराना उनकी जिम्मेदारी है, तब तक चीजें मुश्किल ही रहेंगी।”
उल्लेखनीय है कि ‘मीटू’ अभियान में फिल्म जगत की कई बड़ी हस्तियों के नाम उजागर हुए हैं और उन पर महिलाओं में यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। इसमें विकास बहल, चेतन भगत, कैलाश खेर, रजत कपूर, आलोक नाथ, अनु मलिक, गुरुसिमरन खाम्बा और साजिद खान जैसी हस्तियों के नाम शामिल हैं।
–आईएएनएस
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