दिल्ली, देश, दुनिया—सत पाल
कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव की चर्चा सारे संसार में है और इसको लेकर सबके दिलो दिमाग में डर समाया है । लोग एक दूसरे से मिलने से कतराते हैं और नहीं मिलने के बहाने तलाशते हैं। सार्वजनिक परिवहन, दफ्तर, स्कूल , कॉलेज और बाजार बंद हैं क्योंकि पूरे देश में पूर्णबंदी है। एसे में कुछ ऐसी खबरें भी मिलती हैं जिन्हें पढ़, सुन और देख कर हैरानी होती है। नयी दिल्ली के एम्स में एक ऐसे शिशु का जन्म हुआ है जिसके माता पिता, बहन और परिवार के अन्य सदस्य संक्रमित हैं और उन्हें अलग थलग रखा गया है। शिशु के पिता तो डॉक्टर हैं इसलिये उनकी पत्नी की अस्पताल में बेहतर देखभाल होती रही ।
इस कारण उनकी पत्नी की डिलिवरी समय से पहले सिजेरियन तरीके से की गयी। बेबी बॉय का जन्म हुआ जो पूरी तरह स्वस्थ और पूरी तरह कोरोना वायरस रहित है। इससे निष्कर्ष निकलता है कि मां के गर्भ में शिशु को संक्रमाण नहीं हो सकता भले ही माता पिता दोनों भीषण रूप से संक्रमित हों । कहते हैं कि कोरोना संक्रमण से ग्रस्त लोगों में से सबसे ज्यादा मौतें बुजुर्गों की हो रही है और संक्रमित बुजुर्गों का बच पाना बहुत कठिन है। केरल में 92 साल के पति और 83 साल की उनकी पत्नी कोरना संक्रमण के उपचार और क्वारांटीन के बाद स्वस्थ हो कर अपने परिवार में लौट आये हैं।
इस खबर को पढ़ कर सानियर सिटीजन खुश हैं और कह रहे हैं कि कोरोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। दिल्ली के रजोकरी में एक व्यक्ति ने अपने वृद्ध पिता के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि पूरा परिवार लॉकडाउन के दौरान घर में ही सिमटा रहता है मगर 62 वर्ष के पिताजी कई कई घंटे बाहर निकल जाते हैं। इस पर पुलिस ने उस व्यक्ति के पिताजी की तलाश कर परिवार के साथ खुल कर बात की और पिताजी को भी इस बात पर राजी करा दिया कि वो कोरोना के खतरे को देखते हुये बिल्कुल घर से बाहर नहीं निकलेंगे। अब कुछ घुमक्कड़ सीनियर सिटीजन परेशान हैं कि कहीं उनके बेटे उनके खिलाफ पुलिस में कोई रिपोर्ट दर्ज न करा दें। जीवन रक्षा और मानव सेवा के कार्य में जुटे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर किये गये हमलों और उनके साथ की गयी बदसुलूकी को लेकर सरकारी अमले और सजग लोगों में चिंता है। जब कभी किसी संक्रमित व्यक्ति की जीवन लीला समाप्त होती है और शव को श्मशान ले जाया जाता है तो वहां हड़कम मच जाता है और मुश्किल से सीएनजी से संस्कार करने दिया जाता है। कोरोना ने पश्चिमी देशों को भी यह समझा दिया है कि शव के अंतिम संस्कार का सबसे व्यावहारिक तरीका पार्थिव शरीर को अग्नि को समर्पित करना है।
कोरोना की सुखद देन
कहते हैं कि सिक्के के दो पहलू होते हैं। कोरोना ने जहां मानवता को बहुत कष्ट दिये हैं वहां प्रकृति के लिये कुछ सुखद आश्चर्य भी दिये हैं। देश की नदिया स्वच्छ, निर्मल और शुद्ध जल से निरंतर प्रवाहित दिख रही हैं। शहरों में प्रदूषण का स्तर न्यूनतम हो गया है और सांस लेने में कोई कठिनाई नहीं होती। सड़कों पर यातायात सीमित है तो ईंधन की खपत कम होने के कारण हवा में जहर घुलना बंद हो गया है और वाहनों से आने जाने में समय भी कम लगता है।
नल में दारू
ख्वाबों में मयकशों के थे झरने शराब के, तो सबने अपने जिस्म को बोतल बना लिया । इटली के एक गांव में लोगों ने पानी के नल खोले तो उसमें से शराब निकलने लगी, वे इसे देख कर उत्साहित दिखे । निकट के गांव वाले भी बाल्टियों में शराब भर कर ले गये। ।
और भी हैं
संभल की घटना पर बोली कांग्रेस, ‘योगी राज में कोई सेफ नहीं’
एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में महायुति को बहुमत, एमवीए को झटका
मध्य प्रदेश की पहली मेडिसिटी का उज्जैन में भूमि पूजन