नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को देश भर में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं की निंदा की। न्यायालय ने संसद से इस अपराध से निपटने के लिए कानून बनाने का सिफारिश की है, जो कानून-व्यवस्था और देश की सामाजिक संरचना के लिए खतरा है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, “कानून-व्यवस्था, समाज की बहुलवादी सामाजिक संरचना और कानून के शासन को बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है।”
मुख्य न्यायाधीश मिश्रा ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि कोई भी कानून अपने हाथों में नहीं ले सकता है या खुद के लिए कानून नहीं बना सकता है।
अपराध से निपटने के लिए निवारक, उपचारात्मक और दंडनीय कदमों सहित कई दिशानिर्देश जारी करते हुए अदालत ने कहा कि भीड़तंत्र की अनुमति नहीं दी जाएगी।
केंद्र को अपने निर्देशों पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए अदालत ने इस मामले को 20 अगस्त तक स्थगित कर दिया।
देशभर में सतर्क समूहों द्वारा हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय से हस्तक्षेप करने की मांग के बाद याचिका पर यह फैसला आया है।
–आईएएनएस
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