इस्लामाबाद : पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) को आम चुनावों से पहले तगड़ा झटका लगा है। विदेश में संपत्तियों की खरीद में भ्रष्टाचार को लेकर पार्टी के नेता व पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शुक्रवार को 10 साल की जेल, जबकि उनकी बेटी मरियम नवाज को सात साल की जेल की सजा सुनाई गई। यह फैसला जवाबदेही अदालत ने एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में दिया। यह मामला शरीफ के परिवार के लंदन के पॉश एवेनफील्ड हाउस में चार फ्लैट के स्वामित्व से जुड़ा हुआ है।
तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ को इससे पहले भ्रष्टाचार मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया गया था। उनके भाई शहबाज शरीफ अभी पार्टी के प्रमुख हैं और जुलाई में होने वाले चुनाव में भाग ले रहे हैं।
अदालत ने शरीफ पर 1.06 करोड़ डॉलर का, जबकि मरियम नवाज पर 26 लाख डॉलर का जुर्माना भी लगाया है।
मरियम के पति सफदर को एक साल की जेल की सजा सुनाई गई है।
जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश मोहम्मद बशीर ने कई बार की देरी के बाद फैसला सुनाया।
शरीफ को आय से अधिक संपत्ति का मालिक होने और राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो के साथ सहयोग नहीं करने पर भी एक साल की सजा (यह दस साल की सजा में शामिल होगी) सुनाई गई है। वह दोनों सजा साथ-साथ काटेंगे।
मरियम नवाज को अपराध में सहायता करने व सहयोग नहीं करने के लिए एक साल (यह 7 साल की अवधि में शामिल होगी) की सजा दी गई। यह सजा भी साथ-साथ चलेंगी।
शरीफ परिवार ने जोर देकर कहा कि उन्होंने वैध वित्तीय संसाधनों के जरिए अपार्टमेंट खरीदा है।
फैसले के समय कोई भी प्रतिवादी मौजूद नहीं था। पूर्व प्रधानमंत्री अपनी बेटी के साथ वर्तमान में अपनी बीमार पत्नी कुलसुम नवाज के साथ लंदन में हैं। सफदर पाकिस्तान में थे, लेकिन वह मौजूद नहीं हो सके।
कुलसुम नवाज का लंदन में कैंसर का इलाज चल रहा है।
फैसले के अनुसार, तीनों को दस साल के लिए राजनीति में शामिल होने से रोक दिया गया है और लंदन की चार संपत्तियों को पाकिस्तान द्वारा जब्त किया जाएगा। उनके पास इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील करने का दस दिन का समय है।
एवेनफील्ड भ्रष्टाचार का मामला पिछले साल ऐतिहासिक पनामागेट फैसले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर भ्रष्टाचार रोधी संस्था द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री और उनके बच्चों के खिलाफ दायर कई भ्रष्टाचार के मामलों में से एक है।
पनामागेट मामले में प्रधान मंत्री शरीफ को अयोग्य घोषित किया गया था।
पिता व बेटी दोनों ने अदालत से सात दिनों की छूट मांगी थी। उन्होंने कहा था कि वे फैसला सुनाए जाने के दौरान अदालत में रहना चाहते हैं। हालांकि, उनकी याचिका खारिज कर दी गई और उनकी गैरहाजिरी में फैसला सुना दिया गया।
–आईएएनएस
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