वायु प्रदूषण में दो घंटे तक रहने के कारण वृद्ध लोगों में टहलने से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ कम हो जाते हैं। एक नए शोध में यह खुलासा हुआ है।
शोध के निष्कर्ष सुझाते हैं कि कुछ देर तक भी वाहनों से निकलने वाले धुएं के प्रभाव में रहने से स्वस्थ और पुराने हृदय व श्वास संबंधी रोगों जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (सीओपीडी) से ग्रस्त लोगों पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
यह अध्ययन ऐसे समय में आया है, जब उत्तर भारत प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहा है।
अमेरिका की नॉर्थ कैरोलिना स्थित ड्यूक यूनिवर्सिटी से जिम झैंग के अनुसार, “मोटर वाहन से होने वाले प्रदूषण के दो घंटे का प्रभाव हृदय और श्वसन से जुड़े नकारात्मक प्रभावों को बढ़ाता है।”
वहीं, जो लोग गलियों व सड़कों के यातायात प्रदूषण से सीधे संपर्क में आए बगैर किसी बड़े पार्क में दो घंटों तक चहलकदमी करते हैं, वे स्वस्थ व सीओपीडी पीड़ित लोगों की तुलना में धमनियों की जकड़न 24 फीसदी और हृदय रोगियों की तुलना में 19 फीसदी कम हो जाती है।
इसके अलावा जो लोग प्रदूषण के प्रभाव में रहते हैं, उनमें धमनियों की जकड़न 4.6 फीसदी और सीओपीडी पीड़ित लोगों में 16 फीसदी और हृदय रोगियों में 8.6 फीसदी ही कम होती है।
यह शोध ‘बीएमजे’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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