नई दिल्ली। नोटबंदी की मार में किताबों का प्यार क्या गुल खिलाएगा, 2017 का विश्व पुस्तक मेला इस बात की बड़ी कसौटी साबित होने वाला है। फिलहाल राजकमल प्रकाशन समूह ने पुस्तक प्रेमियों की सहूलियत के लिए जरूरी इंतजाम कर लिए हैं। डेबिट कार्ड से किताबें खरीदनी हों या पेटीएम से, राजकमल ने सभी की तैयारी की है। विश्व पुस्तक मेले का आयोजन 7 से 15 जनवरी के बीच प्रगति मैदान में किया जाएगा।
राजकमल प्रकाशन इस बार मेले में उपन्यास, संस्मरण, कहानी-संग्रह, कविता संग्रह, नाटक से लेकर कुछ और कथेतर विधाओं में स्थापित और नए लेखकों की पठनीय किताबें लेकर आ रहा है। साथ ही वर्षो से पाठकों के बीच ज्यादा मांग में रहने वाली अनेक पुरानी किताबें भी नए संग्रहणीय कलेवर, नई सज-धज में सामने आएंगी। इस बार मेले में पत्रकार शाजी जमां का उपन्यास ‘अकबर’ भी होगा।
यशस्वी कथाकार एवं ‘हंस’ पत्रिका के सम्पादक रहे राजेन्द्र यादव का व्यक्तित्व हिंदी साहित्य संसार के अन्दर और बाहर हमेशा कई तरह से कई वजहों से चर्चा का विषय रहा है। लेकिन, उनकी शख्सियत हिंदी की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाली ही बनी रही और आज भी है। उन्होंने लेखन ही नहीं किया, बतौर सम्पादक कई लेखकों की खोज की और उन्हें स्थापित किया। वैसे ही लेखकों में से एक नाम है मैत्रेयी पुष्पा जिन्होंने राजेन्द्र यादव पर अपने संस्मरणों की किताब लिखी है जिसका नाम ‘वो सफर था कि मुकाम था’ है।
कभी राजकमल प्रकाशन में सम्पादक रहे चर्चित पत्रकार और कथाकार धीरेन्द्र अस्थाना की आत्मकथा ‘जिंदगी का क्या किया’ राजकमल से ही प्रकाशित होकर मेले में आ रही है। सुप्रसिद्ध कथाकार कृष्णा सोबती का बहुप्रतीक्षित उपन्यास ‘पाकिस्तान गुजरात से हिंदुस्तान गुजरात’ भी 2017 की एक उपलब्धि होने वाली है। मेले में पाठक इस आत्मकथात्मक कलेवर वाले उपन्यास को खरीद सकेंगे।
फिल्म और साहित्य की दुनिया में समान रूप से मशहूर कथाकार ख्वाजा अहमद अब्बास की चुनिन्दा कहानियों का एक विशेष संग्रह ‘मुझे भी कुछ कहना है’ मेले में राजकमल स्टॉल का विशेष आकर्षण है। पाठकप्रिय कथाकार शिवमूर्ति का नया कहानी संग्रह ‘कुच्ची का कानून’ स्त्री के अपने कोख के अधिकार के सवाल को सामने लेकर आने वाला है।
गीतकार, शायर, पटकथा लेखक गुलजार की राधाकृष्ण से प्रकाशित मंजरनामा सीरीज में 6 से अधिक नई किताबें मेले में बड़ा आकर्षण होने जा रही हैं। राजकमल की व्यापक रूप से स्वीकृत दो पुस्तक श्रृंखलाएं हैं, ‘प्रतिनिधि कविता’ और ‘प्रतिनिधि कहानी’। प्रतिनिधि कविता सीरिज में दो कवियों विष्णु खरे और मंगलेश डबराल की किताबें इस मेले में शामिल हो रही हैं। इसी तरह प्रतिनिधि कहानी सीरिज में हृषिकेश सुलभ की किताब आ रही है।
मशहूर बांग्ला यात्री लेखक बिमल डे का नया यात्रा वृतांत भी लोकभारती से छप कर आ रहा है। साथ में इसी प्रकाशन से कई टेलीविजन धारावाहिकों की लेखिका अचला नागर का नया उपन्यास ‘छल’ भी छप कर आ रहा है। शहर के इश्क और इश्क में राजनीति या कि 2013 के विकट राजनीतिक समय में प्रेम का किस्सा बखान करता क्षितिज रॉय का उपन्यास ‘गंदी बात’ राधाकृष्ण प्रकाशन के उपक्रम ‘फंडा’ से प्रकाशित होकर सीधे मेले में आएगा।
(आईएएनएस)
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