पोरिस्मा पी. गोगोई, नई दिल्ली: प्रगति मैदान में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में इस साल वह उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है, जो इस मेले में पिछले सालों में रहता था। इसका प्रमुख कारण मेले के लिए कम जगह का उपलब्ध होना है, क्योंकि प्रगति मैदान में निर्माण कार्य चल रहा है।
हालांकि व्यापारियों को उम्मीद है कि बिजनेस डेज बीतने के बाद आम लोगों के लिए मेला खुलने पर उनकी बिक्री में बढ़ोतरी होगी।
थाइलैंड के व्यापारी वानिडा वोंगपिटक इस मेले में लगातार दो सालों से भाग ले रहे हैं। उन्होंने आईएएनएस को बताया, “इस साल भीड़ कम है। आईटीपीओ (भारत व्यापार संवर्धन संगठन) ने दर्शकों की संख्या को रोजाना 1.5 लाख से घटाकर 60,000 कर दिया है।”
नोटबंदी के समय को याद करते हुए उन्होंने बताया, “पिछले साल यह मेला नोटंबदी के समय ही लगा था, जिससे हमें परेशानी हुई। लोगों के पास खर्च करने के लिए नकदी ही नहीं थी। इस बार मैं पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन लेकर आया हूं, लेकिन इस पर 5 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगेगा।”
वानिडा के स्टॉल पर मैंगोवुड और बांस से बने कई उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं, जिसमें वेसेसे, ब्रेड बास्केट, कैंडल होल्डर और अन्य सजावटी सामान हैं, जिन्हें खासतौर से भारतीय बाजार के लिए बनाया गया है।
थाइलैंड के अन्य स्टॉल्स पर रंगीन एक्सेसरीज, कृत्रिम आभूषण और फूलों का प्रदर्शन किया गया है।
आईटीपीओ के मुताबिक, इस साल मेला आने वाले दर्शकों की संख्या पिछले साल के आधी से ज्यादा नहीं होगी। एक प्रवक्ता ने कहा, “पिछले साल 14 लाख लोग आए थे। इस साल करीब 7 लाख लोगों के आने की उम्मीद है, क्योंकि मेला कम जगह में लगा है और रोज केवल 60,000 लोगों को ही प्रवेश दिया जाएगा।”
म्यांमार के एक व्यापारी यू यी सेन ने आईएएनएस को बताया, “हम पिछले 10 सालों से इस मेले में आ रहे हैं। इस साल भी अच्छी भीड़ है।” वे इस मेले में कीमती और सस्ती दोनों तरह के पत्थरों से बने आभूषण और अन्य सामान लेकर आई हैं, जिसमें टोपाज, जेड, एमेथिस्ट और मोती शामिल हैं।
वहीं, अफगानिस्तान के स्टॉल पर ड्राई फ्रूट, कालीन और कम कीमती पत्थरों के गहने हैं। विदेशी स्टॉल पर मिलने वाले अन्य सामानों में बांग्लादेश की राजशाही सिल्क साड़ियां, दुबई के इत्र और ईरान के केसर शामिल हैं।
–आईएएनएस
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