संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक का कहना है कि म्यांमार और संयुक्त राष्ट्र ने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी हेतु अनुकूल परिस्थितियों के सृजन के लिए एक ज्ञापन समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
इनमें से अधिकतर शरणार्थी शिविर बांग्लादेश में हैं।
डुजारिक ने बुधवार को कहा कि गुटेरेस ने बांग्लादेश से रोहिंग्या शरणार्थियों की स्वैच्छिक, सुरक्षित और स्थाई वापसी के लिए अनुकूल स्थितियों के सृजन के लिए म्यांमार सरकार, शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग (यूएनएचसीआर) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के बीच हुए समझौते का स्वागत किया है।
गुटेरेस ने हिंसा को समाप्त करने, दोषियों को कटघरे में खड़ा करने, पीड़ितों को न्याय दिलाने, राखिने में सभी क्षेत्रों तक मानवीय सहायता पहुंचाने और पूर्व महासचिव के नेतृत्व में राखिने सलाहकार आयोग के सुझावों को लागू करने की प्रतिबद्धता भी जताई।
राखिने सलाहकार आयोग ने रोहिंग्या को म्यांमार की नागरिकता प्रदान करने, बेरोकटोक आवागमन की मंजूरी देना और उन्हें सहायता पहुंचाने के सुझाव दिए थे।
यूएनएचसीआर का कहना है कि इस समझौते पर म्यांमार की राजधानी नेपीथा में हस्ताक्षर हुए और इससे यूएनएचसीआरऔर यूएनडीपी को राखिने तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी।
गौरतलब है कि अगस्त 2017 से शुरू हुई हिंसा के बाद से यूएनएचसीआर और यूएनडीपी को इन क्षेत्रों का दौरा करने की अनुमति नहीं थी।
म्यांमार सरकार रोहिग्या आबादी के लिए समाधान खोज निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करने को लेकर प्रतिबद्ध है।
–आईएएनएस
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